
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार आखिर तमाम कयासों के बीच हो गया। गुटों में बंटे नेताओं को साधने के चक्कर में कई दिन लग गए। इस मंत्रिमंडल में राजेन्द्र शुक्ल, गौरीशंकर बिसेन, राहुल लोधी शामिल किए गए हैं। राज्यपाल ने यह शपथ दिलाई है।
nरीवा के विधायक राजेन्द्र शुक्ल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुट के हैं। इस कारण संगठन एवं अन्य नेताओं द्वारा उन्हें कमजोर करने का लगातार प्रयास हो रहा है। पूर्व में मंत्री रहे शुक्ल को सिंधिया के समर्थन से बनी सरकार में मंत्री बनने से प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, नरोत्तम मिश्रा जैसे कई नेताओं ने अड़ंगा लगा कर दूसरों को बनवा दिया था। उस समय समीकरण साधने के लिए मुख्यमंत्री ने अपने करीबी राजेन्द्र शुक्ल, रामपाल सिंह, संजय पाठक, पारस जैन आदि को मंत्री नहीं बनाया था।
nसरकार में शामिल नहीं हो पाने के कारण राजेन्द्र शुक्ल को रीवा और विंध्य की राजनीति में हाशिए पर धकेला जा रहा था। उनके विरोधी कई नये नेता तैयार हो गए थे।
nरीवा में ही वरिष्ठ विधायक गिरीश गौतम को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर राजेंद्र शुक्ल का राजनीतिक कद कम किया गया था। वही सतना में गणेश सिंह सहित दूसरे नेताओं को तवज्जो दी जा रही थी। सीधी और सिंगरौली क्षेत्र में भी राजेन्द्र शुक्ला का प्रभाव कब होता जा रहा था। वहां के भी स्थानीय नेता उनके विरोध में बोलते रहे। सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला ने तो कई बार खुले तौर पर विरोध करते हुए कहा था कि किसी एक व्यक्ति के नाम पर विंध्य की राजनीति नहीं है।
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nहाल ही में पूर्व विधायक अभय मिश्रा और उनकी पूर्व विधायक पत्नी नीलम मिश्रा ने फिर से भाजपा में वापसी की है। वर्ष 2018 में चुनाव के पहले अभय मिश्रा ने राजेंद्र शुक्ला के साथ विरोध की वजह से भाजपा को छोड़ कांग्रेस में चले गए थे और रीवा विधानसभा सीट से उनके खिलाफ चुनाव भी लड़ा था ।
nप्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के विशेष प्रयासों के चलते अभय मिश्रा की भाजपा में वापसी हुई है। इस प्रक्रिया में राजेंद्र शुक्ला को बाहर रखा गया जिसके चलते उन्होंने नरेंद्र सिंह तोमर एवं अन्य केंद्रीय नेताओं के सामने नाराजगी जाहिर की थी। राजेंद्र शुक्ला को साधने के लिए ही अमित शाह ने मंत्रिमंडल में शामिल करने की अनुमति मुख्यमंत्री को पिछले सप्ताह दे दी थी। जिसके बाद से ही उन्हें मंत्री बनाए जाने की चर्चा शुरू हो गई थी। बीते कई दिनों से मंत्रि मंडल विस्तार का समय नहीं हो पा रहा था क्योंकि कुछ नेता आदिवासी विधायकों को भी मंत्री बनाए जाने की बात कर रहे थे।
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nमंत्रिमंडल विस्तार के बाद सभी नए मंत्रियों के गृह क्षेत्र में जश्न का माहौल है। उनके समर्थकों द्वारा जुलूस और आतिशबाजी कर जश्न मनाया जा रहा है।
Friday, November 14
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