nरीवा। शिक्षा विभाग में इस वर्ष स्कूलों उर्दू विषय के अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो रही है। पोर्टल पर उक्त विषय नहीं दिख रहा है, जिसकी वजह से अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। कई स्कूल ऐसे हैं जहां पर उर्दू के एक ही शिक्षक का पद था, सेवानिवृत्त होने के बाद अतिथि शिक्षक ही अध्यापन कर रहे थे। अब इनकी भी नियुक्ति नहीं होने से उर्दू विषय लेने वाले छात्रों के सामने पढ़ाई का संकट तैयार हो गया है।
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कई स्कूलों के शिक्षकों ने छात्रों से कहा है कि वह विकल्प के रूप में संस्कृत भाषा का चयन करें। वैकल्पिक भाषा में उर्दू और संस्कृत को शामिल किया गया है। जिसकी वजह से अब उर्दू पढऩे वाले छात्रों के सामने संकट उत्पन्न हो रहा है। इस मामले की शिकायत लेकर कई अभिभावक कलेक्ट्रेट पहुंचे और कहा कि जिन छात्रों ने मदरसा बोर्ड से अब तक पढ़ाई की है वह संस्कृत नहीं पढ़ सकते।
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बिछिया के अभिभावक महमूद खान ने बताया कि उनका पुत्र कक्षा दसवीं में अध्ययनरत है। स्कूल के शिक्षक कह रहे हैं कि अब उर्दू की जगह संस्कृत की पढ़ाई कराएं। इसके लिए छात्रों से पांच सौ रुपए विषय परिवर्तन शुल्क भी मांगा जा रहा है। शहर के कई स्कूल ऐसे हैं जहां पर उर्दू विषय लेने वाले छात्रों की संख्या अधिक है। इसमें गर्वनमेंट स्कूल क्रमांक दो, मार्तंड स्कूल, हायर सेकंडरी स्कूल पांडेन टोला आदि में सैकड़ों की संख्या में ऐसे छात्र हैं जिनकी पढ़ाई प्रभावित होगी।
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nअध्यापक की व्यवस्था बनाई जाएगी
nजिला शिक्षा अधिकारी गंगा प्रसाद उपाध्याय ने कहा है कि उनके पास तक अभी शिकायत नहीं आई है। छात्रों को कोई विषय लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। जहां शिक्षक नहीं हैं वहां पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति होगी। पोर्टल की तकनीकी समस्या को सुधारा जाएगा।
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