रीवा। स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किए जाने का मामला सामने आया है। इसमें कई तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों की भूमिका संदेह के दायरे में है। जिला कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष कुंवर सिंह पटेल और प्रदेश प्रवक्ता विनोद शर्मा ने संभागायुक्त बीएस जामोद से मुलाकात कर रीवा जिले के स्वास्थ्य विभाग में हुए 2 करोड़ 10 लाख 47 हजार 544 रुपए के कथित भ्रष्टाचार पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है। शिकायत पत्र के साथ कई दस्तावेज भी सौंपे गए हैं जिसमें मनमानी खरीदी की बात कही गई है। सौंपे गए जांच रिपोर्ट के अनुसार, 30 लीटर डस्टबिन जिसकी कीमत एमपी पीएचएससीएल द्वारा 244.90 रुपए तय है, उसे विभागीय अधिकारियों ने 1300 रुपए में खरीदा था। इसी तरह, दवाओं और उपकरणों की भी बिना टेंडर और पोर्टल प्रक्रिया के खरीद की गई, जबकि शासन द्वारा एमपी औषधि पोर्टल से क्रय अनिवार्य है। आरोपों के अनुसार, सीएमएचओ कार्यालय रीवा में वर्ष 2018 से 2022 के बीच पदस्थ रहे सीएमएचओ डॉ. आरएस पांडेय, डॉ. एमएल. गुप्ता, डॉ. बीएल मिश्रा और डॉ. एनएन मिश्रा द्वारा सफाई, दवा, उपकरण व स्वास्थ्य शिविरों के नाम पर नियमों की अनदेखी कर केंद्रीय दरों से अधिक पर घटिया सामग्री की खरीदी की गई। शिकायत में कहा गया है कि डॉ. एनएन मिश्रा द्वारा फर्जी आदेशों के जरिए एक फार्मासिस्ट की पदस्थापना में गंभीर अनियमितता की गई।
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जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कलेक्टर द्वारा गठित सात सदस्यीय जांच दल की 2 नवंबर 2022 को दी गई रिपोर्ट पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि इस रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि कैसे विभागीय अधिकारियों ने मनमानी रूप से खुद के लाभ के लिए भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है। इसमें अस्पताल के उपयोग की सामग्री के साथ ही लोकल पर्चेज की दवाओं में भी बड़े भ्रष्टाचार का आरोप है। कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाए। अन्यथा धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
ऐसा भी भ्रष्टाचार! 244 रुपए की डस्टबिन 1300 में खरीदी, कार्रवाई नहीं हुई
कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल ने स्वास्थ्य विभाग में 2.10 करोड़ के घोटाले की जांच कराने सौंपा ज्ञापन