भोपाल । रीवा शहर के पडऱा मोहल्ले के निवासी सुजीत द्विवेदी समाज को नशामुक्त बनाने के संकल्प के साथ खुद को तपा रहे हैं। करीब दो दशक से अधिक का समय हो गया, वह युवाओं को नशे की लत से बचाने का अभियान चला रहे हैं। इसके लिए कपड़ों का त्याग कर रखा है। हर मौसम में वह सफेद लुंगी में ही नजर आते हैं।
ऐसा करने की वजह बताते हैं कि लोग उन्हें देखकर कारण जानना चाहेंगे ताकि उन तक यह संदेश जाए कि नशा छोडऩा चाहिए। कुछ समय पहले वह जागरुकता यात्रा में रीवा से दिल्ली तक गए थे। रास्ते में लोगों की बूट पालिश करते और पैसों के बदले नशा छोडऩे का संकल्प दिलाते। उस दौरान कई युवाओं ने नशे की लत छोड़ी थी, वह अब भी उनसे संपर्क करते हैं।
शुरुआती दौर में इस अभियान मेें जहां लोग उनका मजाक उड़ाते थे, अब वही लोग सम्मान के साथ उन्हें अपने कार्यक्रमों में बुलाने लगे हैं। इस अभियान में परिवार के सदस्यों ने पूरी तटस्थता के साथ उनका साथ दिया। पत्नी एवं बच्चों ने भी उनके हर आंदोलन में साथ निभाया, जिसके चलते वह आगे बढ़ते गए।
–
इस वजह से शुरू किया अभियान
सुजीत द्विवेदी बताते हैं कि वह ढाबा चलाते थे, अच्छा कारोबार था। वहां पर इंजीनियरिंग, मेडिकल सहित अन्य अच्छे स्थानों के लड़के आते थे और नशा करते थे। ढाबे पर बैठकर ही परिवार के लोगों को झूठी जानकारी देते थे। लगातार यह देखकर मन आहत हुआ और तय किया कि वर्षों से मां-बाप बच्चों के लिए सपने देखते हैं और वह नशे में खुद को तबाह कर रहे हैं। इस कारण कारोबार बंद नशा मुक्ति का अभियान शुरू किया। वर्ष 2003 में वस्त्र त्यागकर केवल लुंगी लगाकर चलते हैं। रीवा में मेडिकल नशा चरम पर है। कई वर्षों तक कफ सीरप की शीशियां जुटाकर लोगों तक संदेश पहुंचाने का प्रयास किया।
—
हर सुख-दु:ख में नशामुक्ति की ही बात करते हैं
सुजीत द्विवेदी के सामने चाहे जैसी परिस्थिति हो वह नशामुक्ति की ही बात करते हैं। घर में खुशियों का अवसर आया तो बेटी की शादी में पूरी बारात को नशामुक्ति की शपथ दिलवा दी। बेटी ने भी शादी के पहले ही शर्त रखी थी कि पूरे परिवार को नशा छोडऩा होगा। वहीं सुजीत की मां का निधन हुआ तो अंतिम संस्कार में आए लोगों को भी उन्होंने छोडऩे की शपथ दिलाई। गांव के कई लोग जो वर्षों से नशा कर रहे थे, वह अब छोड़ चुके हैं।
—
विवेकानंद नशामुक्ति पुरस्कार मिला
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल में सुजीत द्विवेदी को विवेकानंद नशामुक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया है। इसमें प्रशस्ति पत्र के साथ ही एक लाख रुपए का नकद पुरस्कार भी शामिल है। यह पुरस्कार इसी वर्ष से प्रारंभ हुआ है। जिसमें पहला पुरस्कार रीवा के सुजीत द्विवेदी को ही मिला है। समाज को नशामुक्त बनाने के संकल्प के साथ कई वर्षों की सेवा के चलते यह पुरस्कार दिया गया है।
===============