रीवा। सिरमौर जनपद पंचायत में बीते कई दिनों से चल रहा सियासी विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। जनपद पंचायत के 25 में से 19 सदस्यों ने कलेक्टर के समक्ष जनपद अध्यक्ष रवीना साकेत के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। इससे जनपद पंचायत में तख्तापलट की स्थिति बन गई है।
अचानक कलेक्टर के पास पहुंचे जनपद सदस्यों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर कहा कि जनपद अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव में जितने सदस्यों की जरूरत होती है वह मौजूद हैं। साथ ही दावा किया है कि तीन सदस्य अभी और अध्यक्ष के खिलाफ आएंगे। मांग उठाई गई है कि जल्द ही अविश्वास प्रस्ताव में बहुत साबित करने के लिए सदस्यों की बैठक बुलाई जाए।
जनपद सदस्य रामलाल कोल ने बताया कि हमने उन्हें अध्यक्ष बनाया, लेकिन 3 साल में कोई विकास कार्य नहीं हुआ। न फंड मिला, न जनता के काम हुए। आज हालत ये है कि हम अपने ही क्षेत्र की जनता के सामने जवाब देने लायक नहीं बचे। कई अन्य जनपद सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के दौरान उन्हें मंच पर बैठने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे अपमानित महसूस हुआ। कई सदस्यों ने आरोप लगाया है कि अध्यक्ष उनकी बातों को नहीं सुनती हैं। जनपद का कामकाज रविराज विश्वकर्मा अपनी मर्जी के साथ संचालित कर रहे हैं।

इन सदस्यों ने दिया आवेदन
सिरमौर जनपद के जिन सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव में हस्तार किया है। उसमें प्रमुख रूप से सरोज आदिवासी, शियाशरण आदिवासी, मुन्नी दाहिया, निशा सिंह, राजेन्द्र सिंह, सीमेश सिंह,शांतिनारायण पांडेय, रामलाल कोल, तेजा साहू, अभिषेक त्रिपाठी, बृजमोहन सिंह, सावित्री साकेत, सारथी सिंह, प्रतिमा सिंह, रामकली सोधिया, सविता केवट, श्यामकली साकेत, शैलेन्द्र शुक्ला, मिश्रीलाल तिवारी आदि शामिल हैं।
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अध्यक्ष पर सदस्यों ने लगाए कई आरोप
जनपद सदस्यों ने अध्यक्ष पर कई आरोप लगाए हैं। जिसमें कहा गया है कि हर कार्य में 10 प्रतिशत कमीशन की मांग की जाती है। लगातार वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार हो रहा है। जनप्रतिनिधियों के साथ दुव्र्यवहार और अपमानजनक व्यवहार किया जाता है। जनपद निधि का अनुचित वितरण और कामों में भेदभाव, सामान्य सभा के प्रस्तावों पर अमल कराने में असफल, आय-व्यय का लेखा अनुमोदन भी नहीं किया जाता। क्षेत्रीय दौरे पर कहीं अध्यक्ष नहीं जाती और लागबुक गलत तरीके से भरी जा रही है।
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तीन दावेदार भी सामने आईं
अनुसूचित जाति महिला वर्ग के लिए आरक्षित जनपद अध्यक्ष की कुर्सी के लिए तीन दावेदार भी सामने आई हैं। जिसमें मुन्नी साकेत, सावित्री साकेत, श्यामकली साकेत आदि ने कहा है कि वर्तमान अध्यक्ष को हटाने के बाद यदि उन्हें अवसर मिलेगा तो वे मिल-जुलकर, पारदर्शिता के साथ जनहित में कार्य करेंगी और भ्रष्टाचार मुक्त प्रणाली लाएंगी।
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भाजपा समर्थित सदस्यों की बगावत, पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुटी
जनपद सदस्यों के चुनाव तो किसी राजनीतिक दल के चिन्ह पर नहीं हुए हैं लेकिन अध्यक्ष रवीना साकेत के चुने जाने के दौरान भाजपा ने दावा किया था कि वह उनकी समर्थक हैं। पार्टी में भी वह सक्रिय हैं। अब बगावत करने वाले अधिकांश सदस्य ऐसे हैं जो भाजपा के ही सक्रिय कार्यकर्ता हैं। जिसके चलते पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह की प्रतिष्ठा भी इस अविश्वास के चलते दांव पर है। उन्होंने कई सदस्यों के घर पर पहुंचकर मुलाकात का प्रयास किया लेकिन वह घरों पर मौजूद नहीं मिले। वहीं कांग्रेस नेता इस मामले में चुटकी ले रहे हैं और कह रहे हैं कि क्षेत्र में भाजपा के भीतर बर्चस्व की लड़ाई चल रही है। इसे विधायक दिव्यराज और पूर्व विधायक केपी त्रिपाठी के बीच आंतरिक द्वंद कांग्रेस ने बताया है। हालांकि भाजपा नेताओं ने कहा है कि कांग्रेसी दिन में भी सपने देखते हैं।

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