Wednesday, December 24

 नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने गोल्ड लोन को लेकर नए नियम लागू कर दिए हैं, जो देशभर में तेजी से बढ़ते इस ऋण क्षेत्र को और अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से लाए गए हैं। इन दिशा-निर्देशों का सबसे बड़ा असर उन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) पर पड़ेगा, जो मुख्य रूप से स्वर्ण ऋण (Gold Loan) पर निर्भर हैं।

 क्या हैं नए नियम?

  1. नकदी प्रवाह आधारित मूल्यांकन अनिवार्य – अब उधारकर्ता की आमदनी और ऋण चुकाने की क्षमता का मूल्यांकन करना जरूरी होगा।

  2. Loan-to-Value (LTV) अनुपात की सख्त निगरानी – सोने की कीमत के अनुपात में मिलने वाले लोन की राशि तय सीमा में ही होगी।

  3. ब्याज दर शामिल होगी LTV में – अब ब्याज दर को भी कुल ऋण गणना में शामिल किया जाएगा, जिससे लोन की वास्तविक राशि कम हो सकती है।

🏦 गोल्ड लोन कंपनियों के लिए चुनौती

S&P ग्लोबल रेटिंग्स के अनुसार, मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस जैसी कंपनियों को इन नए नियमों के तहत अपने आंतरिक सिस्टम में बड़े बदलाव करने होंगे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन बदलावों से शुरू में इन कंपनियों की लागत बढ़ेगी, लेकिन लंबे समय में यह प्रक्रिया ऋण जोखिम को कम करेगी।

📆 1 अप्रैल 2026 तक की डेडलाइन

RBI ने इन नए नियमों को लागू करने के लिए सभी ऋणदाताओं को 1 अप्रैल 2026 तक का समय दिया है, जिससे कंपनियों को तैयारी करने का पूरा अवसर मिलेगा।

⚠️ जोखिम भी बढ़ सकता है

S&P ने चेतावनी दी है कि अगर भविष्य में सोने की कीमतों में तेज गिरावट आती है, तो नया ढांचा अधिक संवेदनशील हो सकता है और सेक्टर पर दबाव बढ़ सकता है।

📊 फायदा या नुकसान?

  • लाभ: बेहतर क्रेडिट मूल्यांकन, पारदर्शिता में वृद्धि, धोखाधड़ी की संभावना में कमी

  • नुकसान: शुरुआत में ज्यादा लागत, वास्तविक लोन राशि में कमी

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