रीवा। शहर के नजदीक पहडिय़ा में स्थित कचरा के एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े क्लस्टर प्रोजेक्ट में उत्तर प्रदेश और बिहार से कचरा ठेका कंपनी द्वारा मंगाया जा रहा है। जिसकी वजह से दिन भर बड़ी संख्या में वाहनों की आवाजाही बनी रहती है। इस मामले को लेकर कई दिनों से स्थानीय लोग विरोध दर्ज करा थे।
लोगों ने इन वाहनों को प्लांट के भीतर जाने से ही रोक दिया। जिसके चलते नगर निगम के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और कचरा प्रबंधन कंपनी रीवा एमएसडब्ल्यू(रेमकी) के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया, काफी देर तक इंतजार के बाद भी जब कंपनी का कोई प्रतिनिधि प्लांट में नहीं पहुंचा तो स्थानीय लोगों की मौजूदगी में नगर निगम के अधिकारियों ने पंचनामा तैयार कराया। जिसमें लिखा गया है कि प्लांट में रीवा, सतना मैहर, मऊगंज एवं सीधी जिले के 28 नगरीय निकायों का ही कचरा यहां पर निपटान करने का अनुबंध है।
इन निकायों के बाहर का यदि कचरा लाया जाता है तो वह अनुबंध का उल्लंघन है। मौके पर मौजूद वाहनों से जानकारी लेने पर बताया गया कि यह वाहन प्रयागराज, बनारस, बलिया, लखनऊ और बिहार के कई शहरों से कचरा लेकर पहुंचे हैं। कचरा प्रबंधन में मनमानी का विरोध कर रहे कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता विनोद शर्मा ने बताया कि अनुबंध की खुले तौर पर अनदेखी की जा रही है। कलेक्टर और निगम आयुक्त को तत्काल कंपनी का अनुबंध निरस्त करना चाहिए। शर्मा ने यह भी कहा कि कचरा प्रबंधन के नाम पर नगर निगम से बड़ी रकम ठेका कंपनी को दी जा रही है। पहले इसका रेट 1741 रुपए प्रति टन था, अब 2710 रुपए हो गया है। कचरा का वजन बढ़ाने के लिए खुले तौर पर लंबा खेल चल रहा है।
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एमआईसी ने भी बाहर के कचरे पर लगाया है रोक
गत दिवस एमआईसी की बैठक में महापौर अजय मिश्रा ने स्पष्ट तौर पर अधिकारियों को निर्देशित किया कि पहडिय़ा के प्लांट में दूसरे राज्यों के कचरों पर सख्ती के साथ रोक लगाई जाए। इसके बावजूद नगर निगम के अधिकारियों द्वारा उदासीन रवैया अपनाया गया। साथ ही ठेका कंपनी ने भी इन निर्देशों पर ध्यान नहीं दिया। यही कारण है कि हर दिन बड़ी संख्या में कचरा पहडिय़ा प्लांट में आ रहा है।
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महाकुंभ के कचरे से हुई थी शुरुआत
प्रयागराज में लगे महाकुंभ में बड़ी मात्रा में कचरा निकला था, जिसके निपटान की व्यवस्था वहां पर पर्याप्त नहीं थी। इस कारण रीवा नजदीकी होनी की वजह से दोनों सरकारों के बीच हुई चर्चा के बाद उस कचरे को पहडिय़ा के प्लांट में लाकर निपटान करने की शुरुआत हुई थी। इसके बाद से ठेका कंपनी ने उसके आसपास के दूसरे शहरों का कचरा लेना शुरू कर दिया। अब हालात यह हैं कि दिन-रात कचरा लेकर ट्रकों की आवाजाही हो रही है, जिससे पूरे क्षेत्र में दुर्गंध फैल रही है और सड़कें भी खराब हो रही हैं।





