रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का शारीरिक शिक्षा विभाग एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता के लिए भेजे गए छात्रों को बीच रास्ते से लौटना पड़ा है। जिसकी वजह से छात्रों एवं उनके अभिभावकों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा है कि यदि सही तरह से प्रक्रिया अपनाई जाती तो वह प्रतियोगिता से वंचित नहीं होते।

दिल्ली से वापस लौटे छात्रों ने कहा है कि राजस्थान के झुंझुनू में बेस बाल की आल इंडिया युनिवर्सिटी प्रतियोगिता का आयोजन 14 से 17 जून तक होना था। अन्य विश्वविद्यालयों की तरह रीवा के भी खिलाडिय़ों को इसमें हिस्सा लेना था। विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग ने आधिकारिक रूप से दस्तावेज और कोच नहीं भेजे।

छात्रों को मौखिक रूप से पहले ही भेज दिया गया था, जब वह दिल्ली तक पहुंच गए तब कहा गया कि विश्वविद्यालय की ओर से राशि जारी नहीं हो पाई है, वापस लौट आएं। अब रीवा लौटे छात्रों के साथ ही उनके अभिभावकों ने भी नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि 16-16 खिलाडिय़ों वाली दो टीमें रीवा से भेजी जानी थी लेकिन विश्वविद्यालय प्रबंधन की मनमानी और लापरवाही की वजह से ३२ खिलाड़ी वंचित रह गए हैं।
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मौखिक आश्वासन पर बिना दस्तावेज दिल्ली तक गए
रीवा लौटे शारीरिक शिक्षा विभाग के खिलाडिय़ों ने बताया कि मई महीने में ही इस राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए विभाग प्रमुख को जानकारी दी गई थी, उन्होंने मौखिक आश्वासन दिया था। जब टीम भेजने की बात आई तो कहा कि कुलपति और कुलसचिव के हस्ताक्षर फाइल में नहीं हो पाए हैं। जिसकी वजह से राशि स्वीकृत नहीं हुई है। इस बीच विभाग प्रमुख ने कहा कि छात्र अपने लिए टिकट बनवा लें, राशि स्वीकृत होने पर भुगतान कर दिया जाएगा। रीवा से दिल्ली तक छात्र चले गए, तब तक आश्वासन दिया जाता रहा कि टीम कोच और मैनेजर भेजे जा रहे हैं। आखिर में कहा गया कि आगे नहीं जाना है। छात्रों ने बताया कि जनरल टिकट पर दिल्ली से रीवा तक लौटे हैं, गर्मी में मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
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चार दिन परेशान हुए
वापस लौटे छात्रों में मंजूलता साकेत, शिवम मिश्रा आदि ने कहा कि हम सबने खुद के पैसे से टिकट करवा कर दिल्ली तक का सफर किया। हमारे पास न खाने के पैसे थे, न आईडी कार्ड। स्टेशन पर बैठे रहे और फिर कहा गया कि अब आप आगे नहीं जा सकते। चार दिन से लगातार सफर कर रहे हैं, लेकिन खेल नहीं सके। वहीं अभिभावक श्रीधर दुबे ने कहा कि बिना सुरक्षा के बच्चों को भेजा गया, यदि कोई घटना होती तो कौन जवाबदेह होता। लापरवाही करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई होना चाहिए।
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खेल किट भी नहीं देते
खिलाडिय़ों ने यह भी आरोप लगाया कि हर साल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने वाले छात्रों को खेल किट, ट्रैकशूट आदि दिया जाता रहा है। अब कई महीने से यह प्रक्रिया बंद हो गई है। जिसकी वजह से छात्रों को इसके लिए भी रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।
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पाकिस्तान युद्ध के चलते चंडीगढ़ की प्रतियोगिता स्थगित
बेस बॉल की यह प्रतियोगिता पहले केरल के कोट्यम में होनी थी, फिर स्थगित होकर चंडीगढ़ विश्वविद्यालय को जिम्मेदारी मिली। यह प्रतियोगिता 12 से 16 मई  के बीच होनी थी, जिसकी तैयारियां हो गई थी। इसके ठीक पहले भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हो गया, जिसकी वजह से प्रतियोगिता को स्थगित करना पड़ा था। बाद में झुंझुनू में आयोजन का स्थान निर्धारित हुआ।

 

 

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10 जून को पत्र मिला था कि 14 से 17 जून तक झुंझुनू में प्रतियोगिता होनी है। कम समय था, फाइल की प्रक्रिया शुरू की गई थी। कोच-मैनेजर नियुक्त कर टीम भेजने की तैयारी थी, जब छात्रों को बुलाया तो पता चला कि ये खुद ट्रेन में सवार होकर जा रहे हैं। विश्वविद्यालय में जब टीम के सदस्य उपस्थित नहीं हुए तो भेजने की योजना स्थगित करनी पड़ी। बिना अनुमति के छात्र गए थे, अब बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। हर प्रक्रिया निर्धारित नियमों के अनुसार होती है।
डॉ. रामभूषण मिश्रा, संचालक शारीरिक शिक्षा एपीएसयू रीवा

 

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