Tuesday, December 23

 रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में पीएचडी के लिए प्रवेश परीक्षा में बड़ी संख्या में छात्रों के फेल होने पर धांधली का आरोप लगाया गया है। इस परीक्षा को निरस्त करने की मांग को लेकर छात्र संगठन एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। विश्वविद्यालय का घेराव करने जा रहे कार्यकर्ताओं को बीच रास्ते में ही पुलिस ने रोक लिया।

इस दौरान नारेबाजी करते हुए कार्यकर्ताओं ने आगे बढऩे का प्रयास किया और पुलिस द्वारा बनाए गए बेरिकेडिंग को तोडऩे का भी प्रयास किया। इस दौरान बड़ी संख्या में मौजूद पुलिस ने बल ने वाटर केनन का उपयोग करते हुए कार्यकर्ताओं को वहां से भगाने का प्रयास किया। कुछ कार्यकर्ता तो पानी की बौछारें पड़ते ही भाग निकले लेकिन कई डटे रहे। हालांकि पुलिस ने इस बीच कई छात्र नेताओं को हिरासत में ले लिया। कुछ देर के बाद इन कार्यकर्ताओं को भी पुलिस ने रिहा कर दिया है।

इस बीच कार्यकर्ताओं ने कहा कि वाटर केनन और पुलिस के आंशिक बल प्रयोग करने की वजह से चोट भी पहुंची है। एनएसयूआई के अध्यक्ष पंकज उपाध्याय ने कहा है कि भाजपा से जुड़े लोगों को चिन्हित करके पास किया गया है, शेष अन्य परीक्षार्थी जिनकी कोई सिफारिश नहीं थी, उन्हें बहुत कम अंक देकर फेल कर दिया गया है। प्रदर्शनकारी छात्रों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने लाठियों का उपयोग करते हुए उन पर बल प्रयोग किया है, जिसके चलते कई छात्रों को चोट पहुंची है।

Dissatisfaction expressed due to the large number of students failing in PhD
90 फीसदी छात्र हो गए हैं अनुत्तीर्ण
विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम में करीब 90 फीसदी परीक्षार्थी अनुत्तीर्ण हुए हैं। शारीरिक शिक्षा विभाग में ३३ में सभी अभ्यर्थी फेल हो गए थे। इसका दोबारा मूल्यांकन कराने पर आठ पास हो गए, जिनके ५५ तक नंबर बढ़े हैं। दोबारा हुए मूल्यांकन में कई ऐसे परीक्षार्थी पास हुए हैं जो विश्वविद्यालय के अधिकारियों के पारिवारिक सदस्य हैं। इस कारण लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं कि इस परीक्षा के मूल्यांकन में धांधली हुई है। सभी विषयों के पुनर्मूल्यांकन कराने या फिर परीक्षा ही निरस्त करने की मांग उठाई गई है। इस मामले में परीक्षार्थियों के साथ ही एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने कुलपति पर सीधे तौर पर मनमानी करने का आरोप लगाया है। बीते कई दिनों से इस प्रकरण में लगातार शिकायतें की जा रही हैं।

विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कहा मूल्यांकन पारदर्शी
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. सुरेन्द्र सिंह परिहार ने कहा है कि पीएचडी प्रवेश की परीक्षा पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से संपन्न हुई है। मूल्यांकन भी सही हुआ है। उन्होंने कहा कि कुछ छात्रों के मन में ऐसा है कि उन्हें अधिक अंक मिलना चाहिए तो उनके लिए आरटीआई के जरिए उत्तर पुस्तिका और आंसर-की उपलब्ध कराई जा रही है। जिसे देखकर वह पहले संतुष्ट हो जाएं कि मूल्यांकन सही हुआ है या फिर नहीं। इसके बाद भी यदि कोई परीक्षार्थी चाहेगा तो फिर से मूल्यांकन पर विचार किया जा सकता है।

पीएचडी प्रवेश परीक्षा में अनियमितताओं की जांच की मांग

Dissatisfaction expressed due to the large number of students failing in PhD

रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पीएचडी प्रवेश परीक्षा और उसके परिणाम में कथित अनियमितताओं को लेकर अभ्यर्थियों का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को संभागायुक्त से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने पूरी परीक्षा प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच के लिए स्वतंत्र समिति गठित करने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल में अधिवक्ता अभिषेक तिवारी, मोहित गुप्ता, आभा पटेल, प्रभात पांडेय, किरण पटेल और शुभम पांडेय शामिल थे। अभ्यर्थियों ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पीएचडी प्रवेश परीक्षा में प्रश्नपत्र निर्माण से लेकर मूल्यांकन तक कई स्तरों पर नियमों की अनदेखी की गई। आरोप लगाया कि परीक्षा से पहले पेपर निर्माण प्रक्रिया में विश्वविद्यालय अध्यादेश के नियमों का उल्लंघन हुआ है। प्रश्नपत्र निर्माण निजी महाविद्यालयों के शिक्षकों से कराया गया, जिससे पेपर लीक होने की आशंका बनी रही। इसके साथ ही उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन जबलपुर में कराया गया, जबकि पूर्व परीक्षाओं में मूल्यांकन सीसीटीवी निगरानी में विश्वविद्यालय परिसर में होता था। इस बार न तो ‘आंसर की’ जारी की गई और न ही दावा-आपत्ति आमंत्रित की गई। आरोप है कि कुलपति के निर्देश पर मूल्यांकन उनके करीबी प्राध्यापकों से अनौपचारिक रूप से कराया गया।
शारीरिक शिक्षा विषय के मामले का उदाहरण देते हुए अभ्यर्थियों ने बताया कि डॉ. रामभूषण मिश्रा ने स्वयं पैनल तैयार कर प्रश्नपत्र निर्माण किया, जबकि उसी विषय में उनके भतीजे विकल्प मिश्रा परीक्षार्थी थे। मूल्यांकन में अनियमितता के चलते पहले वे फेल हुए, बाद में कॉपियां दोबारा जांची गईं और उन्हें 22 से बढ़ाकर 71 अंक दे दिए गए। पूरे मामले की जांच की मांग की गई है।

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