रीवा. सरकार ने जिस पोषण आहार को कुपोषण मिटाने का हथियार बनाया है, वह स्वयं कुपोषण को बढ़ावा देने वाला ज़हर बनता जा रहा है। बच्चों और महिलाओं के लिए तैयार किए जाने वाले इस पोषण आहार में घटिया किस्म के अनाज का उपयोग किया जा रहा है।
जिम्मेदारों के इस कारनामे का खुलासा रीवा शहर के पास पहड़िया गांव में लगे पोषण आहार संयंत्र में अमानक अनाज से आहार तैयार किए जाने के वायरल वीडियो से हुआ है। वीडियो में दिख रहा है कि खराब और सड़ा हुआ अनाज पैरों से कुचलकर उपयोग में लाया जा रहा है।
दरअसल, यह संयंत्र करोड़ों रुपए का पोषण आहार तैयार कर न केवल रीवा, बल्कि अन्य जिलों में भी सप्लाई करता है। वायरल वीडियो के बाद आसपास के ग्रामीणों ने भी आरोप लगाए हैं कि संयंत्र के पास नहर और सड़क किनारे रात में ट्रक से सड़ा हुआ अनाज फेंका जाता है।
स्थानीय निवासी दिनेश यादव ने बताया कि यह अनाज पहले से बदबूदार होता है और कई बार पाउडर के रूप में भी पड़ा मिलता है। इससे पूरी बस्ती में बदबू फैल जाती है। ग्रामीणों के मुताबिक लंबे समय से घटिया अनाज से आहार तैयार कर आंगनबाड़ियों में भेजा जा रहा है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। कुछ दिन पहले बीके माला ने मामले की शिकायत संभागायुक्त से की थी।
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प्लांट में अमानक सामग्री: पोषण आहार बनाने के नाम पर अनियमितता की शिकायत के बाद प्लांट में अंदर जाकर देखा तो वहां भी कीड़े लगे गेहूं, खराब अनाज, सड़ता प्रोटीन और साफ-सफाई के अभाव में बनता पोषण आहार इस पूरी योजना को ही कटघरे में खड़ा करने वाला था।
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तीन स्तर पर होती है जांच
1. पहडिय़ा के प्लांट में लैब स्थापित है, उसमें पोषण आहार की जांच की जाती है।
2. एक जांच महिला बाल विकास के अधिकारियों की ओर से की ओर से की जाती है। उसमें गुणवत्ता को सही बताया जाता है।
3. एक अन्य जांच के लिए दिल्ली सैंपल भेजे जाते हैं। इसके बावजूद यदि गुणवत्ताहीन पोषण आहार तैयार किया जा रहा है तो इसमें न केवल आहार तैयार करने वाले बल्कि सुपरविजन करने वाले भी जांच के दायरे में आएंगे।
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कलेक्टर ने जांच के दिए निर्देश
पोषण आहार तैयार करने में गुणवत्ता की अनदेखी का मामला सामने आने के बाद कलेक्टर प्रतिभा पाल ने जिला पंचायत सीईओ को जांच के निर्देश दिए हैं।
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