Muganj/Rewa
मध्य प्रदेश के उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे मऊगंज जिले में इन दिनों फिर से बवाल मचा हुआ है। बीते महीने शाहपुर थाना क्षेत्र के जिस गड़रा गांव में हिंसा भड़क उठी थी और एक स्थानीय युवक के साथ पुलिस के एएसआई की हत्या ग्रामीण आदिवासियों ने कर दी थी। इस गांव में अब एक दलित परिवार के तीन लोगों के शव फांसी के फंदे पर लटकते पाए गए हैं। इसके बाद गांव में फिर से तनाव बढ़ गया है। मऊगंज क्षेत्र के पूर्व विधायक एवं कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री सुखेंद्र सिंह बन्ना बीते दो दिनों से ग्रामीणों की आवाज प्रशासन तक पहुंचा रहे थे। उनका पुलिस की व्यवस्था पर सीधा सवाल था कि गांव में जब पुलिस की लगातार महीने भर से पहरेदारी चल रही है तब तीन लोग एक साथ फांसी के फंदे पर कैसे लटक गए। इस पर वह जिम्मेदारों की जवाबदेही तय करने की मांग उठा रहे थे। एक दिन पहले कलेक्टर संजय जैन और पुलिस अधीक्षक दिलीप सोनी ने समझाइश देकर तीनों शव को पोस्टमार्टम के लिए रीवा के मेडिकल कॉलेज भिजवाया था।
पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार के लिए जब शव गांव पहुंचे तो परिवार के लोगों ने यह कहते हुए अंतिम संस्कार रोक दिया कि पहले पुलिस के जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाए। लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद कलेक्टर और एसपी के प्रतिवेदन के बाद रीवा जोन के आईजी गौरव राजपूत ने मऊगंज की एसडीओपी अंकिता सूल्या को तत्काल प्रभाव से मऊगंज से हटाकर आईजी कार्यालय अटैच कर दिया है। इसके साथ ही शाहपुर थाना प्रभारी संदीप भारती को हटा दिया गया है। साथ ही प्रशासन ने जांच करते हुए 15 दिन के भीतर रिपोर्ट सार्वजनिक करने की बात कही है। पूर्व विधायक सुखेन्द्र सिंह बन्ना एवं पीड़ित परिवार के लोग सीबीआई जांच करने की मांग कर रहे थे। जिस पर प्रशासन ने कहा है कि जांच में पूरी स्थिति स्पष्ट होगी इसके बाद भी यदि परिवार के लोगों को लगता है कि सीबीआई जांच कराई जाए तो शासन से मांग की जाएगी।
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बन्ना के कहने पर राजी हुए परिवार के लोग
दलित परिवार के तीन लोगों की मौत के बाद आसपास के कई गांव में लोग पुलिस के प्रति नाराजगी जाहिर कर रहे थे। अंतिम संस्कार के समय बड़ी संख्या में लोग गड़रा गांव में जुट गए थे। पुलिस के कुछ अधिकारियों की लापरवाही के चलते तनाव की स्थिति बन रही थी। हालांकि मौके पर मौजूद पूर्व विधायक सुखेंद्र सिंह बन्ना की अपील पर सभी ग्रामीण शांत हुए और कहा कि प्रशासन के साथ वह वार्ता करें और न्याय के लिए जो भी कदम उठाए जाएंगे उसे मानेंगे। बता दें कि सुखेंद्र सिंह बन्ना लगातार दो विधानसभा चुनाव क्षेत्र में हार चुके हैं लेकिन अब भी वह गरीबों की हर आवाज पर क्षेत्र में मौजूद रहते हैं । प्रशासन को उनकी मौजूदगी टेंशन बढ़ती है , क्योंकि कई ऐसे अवसर आ चुके हैं जब सुखेंद्र सिंह बन्ना के रहते ग्रामीणों का आक्रोश फूट चुका है और पुलिस और प्रशासन के साथ झड़प हो चुकी है। प्रशासन भी किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता और उनकी मांगें पूरी की। इस दौरान जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद्मेश गौतम, नईगढ़ी के नेता नृपेन्द्र सिंह पिंटू , केपी सिंह परिहार, आशुतोष तिवारी सहित अन्य मौजूद रहे।

Mauganj: Banna creates ruckus over the death of Dalits, SDOP removed
ग्रामीणों के साथ सुखेन्द्र सिंह बन्ना

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अब विधायक के समर्थक नाराज
मऊगंज एसडीओपी को हटाए जाने के बाद अब क्षेत्रीय भाजपा विधायक प्रदीप पटेल के समर्थक प्रशासन पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। इनका आरोप है कि इसके पहले सत्ता दल में होते हुए विधायक प्रदीप पटेल अधिकारियों के चरणों में भी लोट गए। इसके बावजूद किसी को नहीं हटाया गया और सुखेंद्र सिंह बन्ना की दबंगई के खौफ के चलते प्रशासन ने तत्काल हटा दिया है। सोशल मीडिया पर भाजपा विधायक के समर्थक जमकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
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एसडीओपी की लापरवाही से भड़की थी हिंसा
बीते 15 मार्च को गड़रा गांव में भड़की हिंसा की प्रमुख वजह एसडीओपी रही अंकिता सूल्या को माना जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अंकिता सूल्या बिना वर्दी के गांव में पहुंची और महिलाओं के साथ अभद्रता करते हुए मारपीट शुरू कर दी और कहा कि जिन्हें पकड़ कर ले जा रही है उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाएगा। इसी के बाद से गांव में लोग पकड़े गए आरोपियों को छुड़ाने के लिए पुलिस से भिड़ गए और देखते ही देखते हिंसा भड़क उठी थी। लगातार एसडीओपी को हटाने की मांग की जा रही थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर कलेक्टर और एसपी तो हटा दिए गए लेकिन एसडीओपी नहीं हटी, जिसके चलते ग्रामीण फिर से नाराज हो रहे थे।

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