Sunday, July 20

मऊगंज। मऊगंज जिले के गड़रा गांव में हुई घटना के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी लगातार हो रही है। अब तक कुल 34 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। जिसमें 11 आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें जेल भेजा गया है। इन आरोपियों में तीन नाबालिग थे, जिसके चलते बाल संप्रेक्षण गृ़ह भेजा गया है। घटना को लेकर गांव में अब भी तनाव की स्थिति बनी हुई है। जिस आदिवासी बस्ती में घटना हुई थी, वहां पर सनाका खिंचा हुआ है, अधिकांश लोगों ने अपना घर छोड़ दिया है। पुलिस की मौजूदगी घटना स्थल के साथ ही मृतक के घर पर भी बनी हुई है। इस घटनाक्रम की जांच के लिए कई पुलिस अधिकारियों को लगाया गया है। कई थानों के प्रभारियों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद फाइल भी अलग-अलग अधिकारी तैयार कर रहे हैं और जो मिलते जा रहे हैं उन्हें जेल भेजा जा रहा है। कई लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। इनकी गिरफ्तारी अभी पुलिस नहीं बता रही है। जिन 11 आरोपियों को जेल भेजा गया है उसमें पांच महिलाएं हैं जिसमें एक नाबालिग किशोरी भी शामिल है। इसी तरह आरोपियों में छह पुरुष हैं जिसमें दो नाबालिग बताए गए हैं।
इस घटना के बाद वर्ग संघर्ष जैसी स्थिति उत्पन्न होने की आशंका जाहिर की जा रही थी। जिसके चलते पुलिस ने गांव में सशस्त्र बल की तैनाती की है। पूर्व में घटना स्थल पर प्रभारी मंत्री लखन पटेल और डीजीपी कैलाश मकवाना ने भी घटना स्थल का जायजा लिया था और निष्पक्ष जांच कराए जाने का निर्देश दिया है। गड़रा गांव के ही युवक राहिल उर्फ सनी द्विवेदी को गांव के आदिवासी वर्ग के लोगों ने पीटपीटकर मार डाला था। काफी देर तक वह बंधक बनाए रखे लेकिन पुलिस नहीं छुड़ा पाई थी। जिसकी वजह से एसएएफ के एएसआई रामचरण गौतम की भी हत्या कर दी गई थी। इस घटनाक्रम से गांव के साथ ही अन्य स्थानों पर भी तनाव की स्थिति बनी हुई है। रीवा में बंद का भी संगठनों ने आह्वान किया था। साथ ही रीवा एवं मऊगंज जिले के कई क्षेत्रों में प्रदर्शन हुए हैं।

अब तक 18 जा चुके जेल
गड़रा कांड के मुख्य आरोपियों के साथ ही कुछ साजिशकर्ताओं को भी पुलिस ने पकड़ा है। इस मामले में अब तक कुल 18 आरोपी जेल जा चुके हैं। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि करीब 50 से अधिक आरोपी संदेह के दायरे में है। जल्द ही सभी को गिरफ्तार करने के लिए टीमें भेजी गई हैं। वहीं कुछ संदेहियों के फोन के काल रिकार्ड की जांच हो रही है, उनकी भी गिरफ्तारी हो सकती है। क्षेत्र में सक्रिय दो नेता भी राडार में है, जिनकी आरोपियों के साथ लगातार वार्ता हो रही थी। इसमें एक क्षेत्र का पूर्व निर्वाचित प्रतिनिधि भी बताया जा रहा है। जिस पर आरोप है कि आदिवासी परिवार के एक व्यक्ति की मौत को हत्या बताकर राजनीतिक तूल देने का प्रयास भी उसी व्यक्ति ने किया था।
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दोनों स्थानों का कलेक्टर-एसपी ने जायजा लिया
नवागत कलेक्टर संजय कुमार जैन, एसपी दिलीप सोनी, जिला पंचायत सीईओ मेहताब सिंह गुर्जर आदि ने गड़रा गांव का निरीक्षण करने सायं पहुंचे। पहले घटना स्थल पहुंचे जहां आदिवासी बस्ती में युवक को बंधक बनाया गया था और जिस स्थान पर पुलिसकर्मियों से मारपीट कर एएसआई पर हमला किया गया था। बस्ती के आसपास अन्य क्षेत्रों का भी अधिकारियों ने जायजा लिया। इस दौरान सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को निर्देशित किया है कि किसी भी संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ करें और सही जानकारी नहीं दे तो उसे हिरासत में लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करें। इसके बाद मृतक राहिल उर्फ सनी द्विवेदी के घर भी सभी अधिकारी पहुंचे। जहां मृतक के पिता से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। मृतक के पिता ने अधिकारियों को बताया कि जिन लोगों ने घटना को अंजाम दिया है, वह उनके यहां काम करने वाले लोग हैं। कुछ राजनीतिक लोगों ने उन्हें भड़काकर परिवार के खिलाफ खड़ा किया और एक दुर्घटना से मृतक का नाम भी जोड़ने का प्रयास किया, जिसके चलते साजिश रची गई और इस वारदात को अंजाम दिया गया। उन्होंने कहा है कि जिन लोगों ने भड़काया, घटना के पहले संपर्क में रहे उनसे भी पूछताछ की जाए तो पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। कलेक्टर-एसपी ने आश्वासन दिया है कि इस मामले में पूरी निष्पक्षता के साथ जांच की जाएगी। कोई भी दोषी नहीं बचेगा चाहे वह कितना भी प्रभावशाली हो।
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पुलिस की लापरवाही अभी जांच के दायरे से बाहर
डीजीपी ने अपने दौर में स्पष्ट कहा था कि इस घटनाक्रम को अंजाम देने वाले आरोपियों के साथ ही साजिशकर्ता और लापरवाह रहे पुलिस के अमले की भी जांच होगी और हर दोषी को सजा देने का प्रयास किया जाएगा। जांच में आरोपियों को चिन्हित करने में ही करीब सप्ताह भर का समय बीत गया है। जबकि लगातार आरोप सामने आ रहे हैं कि दोपहर करीब 12 बजे युवक को बंधक बनाने की जानकारी पुलिस के पास आ गई थी लेकिन कई घंटे जिम्मेदार लापरवाह बने रहे। क्षेत्र के कुछ अधिकारी रीवा में थे। आरोपियों की शर्त के अनुसार पूर्व में हुई सड़क दुर्घटना की फाइल तलाशने में ही काफी समय अधिकारियों ने बिता दिया। इसके बाद एसडीओपी सिविल डे्रस में पहुंची और कुछ ऐसी बयानबाजी की जिससे बस्ती के लोगों ने हमला बोल दिया। बंधक बनाने के मामले में बिना शस्त्र के सुरक्षा बल को भेजा गया। इन तमाम लापरवाही की जांच अभी प्रारंभ नहीं हुई है।

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