रीवा। भ्रष्टाचार के मामले में पर्दा डालने अफसरों का प्रयास विफल हो गया है। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अब संबंधितों से वसूली का आदेश जारी किया गया है। इसके पहले कई बार प्रशासनिक स्तर पर आनाकानी की गई थी। मामला मऊगंज जिले के नईगढ़ी जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत जिलहड़ी का है। जहां पर व्यापक स्तर पर किए गए भ्रष्टाचार की जांच के बाद पर्दा डालने का प्रयास किया गया था। पहली जांच में जहां 68 लाख 43 हजार 836 रुपए का भ्रष्टाचार मानते हुए तत्कालीन सरपंच एवं अन्य अधिकारी-कर्मचारियों से वसूली का प्रस्ताव तैयार किया गया था। वहीं बाद में फिर जांच टीम गठित कर इस गबन को 56 हजार माना गया।
जिलहड़ी पंचायत में पीसीसी सड़क, पुलिया, खेत तालाब, आंगनवाड़ी भवन, शौचालय और ग्रेवल सड़क निर्माण सहित 28 से अधिक कार्यों में अनियमितताओं की शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने की थी। प्रारंभिक जांच आरईएस के एसडीओ एसआर प्रजापति और बाद में ईई एसबी रावत द्वारा की गई, जिसमें 68 लाख 43 हजार 836 रुपए की वसूली राशि निर्धारित की गई। बाद में अफसरों ने भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए नई टीम गठित की और वसूली की मात्रा घटाई गई। इतना ही नहीं घटाई गई राशि की भी वसूली नहीं हुई। जिसके चलते जिलहड़ी गांव के निवासी सुधाकर सिंह, वंशपति द्विवेदी एवं समाजसेवी शिवानंद द्विवेदी आदि ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
जहां से कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ को तीन महीने के भीतर मामले में कार्रवाई करते हुए भ्रष्टाचार से जुड़ी राशि की वसूली के लिए निर्देश जारी किया गया था। निर्धारित अवधि में जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो अवमानना की शिकायत दर्ज कराई गई। कोर्ट से नोटिस जारी होने के बाद हड़कंप मच गया और मऊगंज कलेक्टर संजय जैन ने आनन-फानन में टीम गठित कर मामले से जुड़ा प्रतिवेदन मंगाया गया और पहली जांच को सही मानते हुए राशि की वसूली करने का आदेश जारी किया है। कलेक्टर ने छह को दोषी मानते हुए राशि वसूली के लिए निर्देशित किया है।
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फर्जी जांच से घटाई गई वसूली राशि
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि नईगढ़ी की तत्कालीन जनपद सीईओ कल्पना यादव ने अपने स्तर से जांच टीम गठित कर अप्रत्याशित ढंग से वसूली की राशि 56 हजार 305 रुपए कर दिया था। इसी मामले में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के तत्कालीन ईई टीपी गुर्दवान ने कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से एक फर्जी 9 सदस्यीय जांच टीम बनाकर वसूली राशि को घटाकर 56 हजार 385 रुपए कर दिया और जिला पंचायत सीईओ के पास प्रतिवेदन भेज दिया।
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इनसे राशि की होगी वसूली
1. पूनम सिंह, तत्कालीन सरपंच- 22,57,483 रुपए
2. सत्येन्द्र वर्मा, तत्कालीन सचिव – 14,59,378 रुपए
3. नवल किशोर जायसवाल, तत्कालीन सचिव- 7,98,112 रुपए
4. प्रवीण पाण्डेय, तत्कालीन उपयंत्री – 14,92,120 रुपए
5. जगदीश राजपूत, तत्कालीन सहायक यंत्री – 8,08,337 रुपए
6. सुशीला साहू, तत्कालीन सरपंच- 28,416 रुपए
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अनुशासनात्मक कार्रवाई भी होगी
कलेक्टर मऊगंज ने सीईओ जिला पंचायत रीवा को आदेश दिया है कि जिला पंचायत से जुड़े मामले में उक्त राशि वसूली के साथ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाए। वहीं शिकायतकर्ताओं ने सवाल उठाया है कि इतने बड़े घोटाले में अब तक एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गई। आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने कहा कि जब जांचों में गबन साबित हो चुका है और दोषियों से वसूली तय कर दी गई है, तो आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए।
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दोषियों के बचाने अन्य पंचायतों में भी चल रहा खेल
केस-1
पंचायतों में भ्रष्टाचारियों को बचाने जांच के बाद दोबारा जांच टीम गठित कर क्लीनचिट देने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। गंगेव जनपद के ग्राम पंचायत सेंदहा में भ्रष्टाचार पर 7.07 लाख की प्रस्तावित वसूली को दोबारा जांच टीम ने घटाकर 2.42 लाख कर दिया। फावड़ा-गैंती आदि खरीदी को कार्यालय व्यय बताया गया।
केस-2
गंगेव जनपद के ही ग्राम पंचायत चौरी में रपटा निर्माण में 14.49 लाख खर्च बताया गया। इसकी जांच हुई तो गुणवत्ताहीन कार्य पाया गया और संबंधित जिम्मेदारों से दस लाख रुपए की वसूली प्रस्तावित की गई। वहीं जिला पंचायत की एक अन्य टीम ने पूरे काम को उचित बताते हुए क्लीनचिट दे रखा है।




