- Colonel Sofia Qureshi : भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी इन दिनों सुर्खियों में हैं। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद उनकी वीरता और नेतृत्व ने देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कर्नल सोफिया का परिवार 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक देश सेवा में समर्पित रहा है, और उनका रानी लक्ष्मीबाई व बांदा रियासत के नवाब अली बहादुर से गहरा ऐतिहासिक जुड़ाव है?
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नबाब अली बहादुर(बांदा) रानी लक्ष्मीबाई और नवाब अली बहादुर से पारिवारिक कनेक्शन
कर्नल सोफिया ने 2017 के एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि उनकी परदादी 1857 के विद्रोह में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी थीं। उनकी परदादी एक योद्धा थीं, जिन्होंने रानी लक्ष्मीबाई और बांदा के नवाब अली बहादुर के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ी। नवाब अली बहादुर, जिन्हें रानी लक्ष्मीबाई का राखी भाई माना जाता था, ने 1857 की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कुछ ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, रानी लक्ष्मीबाई का अंतिम संस्कार भी नवाब अली बहादुर ने किया था। सोफिया की दादी उन्हें बचपन में रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानियां सुनाया करती थीं, जो उनकी प्रेरणा का स्रोत बनीं। - पीढ़ियों से देश सेवा में समर्पित परिवार
कर्नल सोफिया का परिवार देशभक्ति की मिसाल है:
परदादा: ब्रिटिश सेना में थे, लेकिन 1857 की क्रांति में शामिल हो गए।
दादा: भारतीय सेना में धार्मिक शिक्षक के रूप में सेवारत थे।
पिता (ताज मोहम्मद कुरैशी): 1971 के भारत-पाक युद्ध में इलेक्ट्रॉनिक एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स कोर में लड़े।
चाचा (बली मोहम्मद कुरैशी): बीएसएफ से रिटायर्ड।
पति (ताजुद्दीन बागेवाड़ी): मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में कर्नल।
बेटा (समीर कुरैशी): 18 वर्षीय बेटा वायुसेना में शामिल होने की तैयारी में।
सोफिया की मां हलीमा कुरैशी ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर गर्व जताते हुए कहा, “यह ऑपरेशन उन महिलाओं के लिए न्याय है, जिन्होंने अपने पतियों को खोया।”
कर्नल सोफिया की शानदार उपलब्धियां
जन्म और शिक्षा: 1981 में गुजरात के वडोदरा में जन्मीं सोफिया ने महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से बायोकेमिस्ट्री में मास्टर डिग्री हासिल की।
सेना में प्रवेश: 1999 में 17 साल की उम्र में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में शामिल हुईं। वर्तमान में सिग्नल कोर में सेवारत।
ऐतिहासिक उपलब्धि: 2016 में पुणे में ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में 18 देशों के बीच भारतीय दल का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं।
संयुक्त राष्ट्र मिशन: 2006 में कांगो में यूएन पीसकीपिंग मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में सेवा दी।
ऑपरेशन सिंदूर: 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले (25 भारतीय और 1 नेपाली नागरिक मारे गए) के जवाब में 7 मई 2025 को शुरू हुआ यह ऑपरेशन 25 मिनट में पूरा हुआ। सोफिया ने विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी।
ऑपरेशन सिंदूर: नारी शक्ति का प्रदर्शन
पहलगाम हमले के बाद शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने इस ऑपरेशन में नेतृत्व कर नारी शक्ति का परचम लहराया। उनकी प्रेस ब्रीफिंग में शांत और आत्मविश्वासपूर्ण उपस्थिति ने देश का गौरव बढ़ाया।
परिवार और समाज से प्रशंसा
सोफिया की बहन शबाना कुरैशी और ससुर गौसाब बागेवाड़ी ने उनकी उपलब्धियों पर गर्व जताया। उनके चचेरे भाई बंटी सुलेमान ने कहा, “मेरी बहन ने पूरे देश को गौरवान्वित किया है।”
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नबाब परिवार भी है गौरवान्वित : शादाब
बांदा स्टेट के नबाब शादाब अली बहादुर कहते हैं कि भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही सैन्य कार्रवाई की आधिकारिक सूचना देकर कर्नल सोफिया कुरैशी चर्चा में आई हैं, पूरा देश उन्हें सम्मान के साथ देख रहा है। नबाब परिवार भी गौरव महसूस कर रहा है।