रीवा। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की उभरती हुई खिलाड़ी शुचि उपाध्याय इंटरनेशनल क्रिकेट मैच खेलने के बाद अपने खेल प्रशिक्षक से मिलने रीवा पहुंची। जहां स्थानीय लोगों ने उनका सम्मान किया। इस दौरान शुचि ने कहा कि यहां आकर उन्हें पहले जैसा अपनापन अनुभव हो रहा है।
रीवा के खेल मैदान में ही अभ्यास करने के बाद पहले मध्यप्रदेश और अब भारतीय टीम का हिस्सा बनने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि रीवा के लोगों से मिला स्नेह वह जीवन भर नहीं भूल सकती। बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाज शुचि ने हाल ही में सीनियर भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए डेब्यू किया है।
इंटरनेशनल प्रतियोगिता से फुर्सत मिलने के बाद वह रीवा के खेल प्रशिक्षक इन्द्रदेव भारती विश्वकर्मा उर्फ स्वामी से मिलने पहुंची। इस अवसर पर उन्होंने अपने पुराने अभ्यास स्थल का दौरा किया और मीडिया से अपने संघर्ष और सफलता की कहानी साझा की।
मूल रूप से मंडला जिले की निवासी शुचि उपाध्याय ने बताया कि केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई की है।
बचपन में उन्होंने अपने बड़े भाइयों और मोहल्ले के लड़कों के साथ गली क्रिकेट खेलते हुए खेल की बारीकियां सीखीं। उन्होंने कहा कि जब मैं लड़कों के साथ मैदान में अकेली लड़की होती थी, तो कई बार अजीब लगता था, लेकिन परिवार ने पूरा समर्थन दिया। पापा-मम्मी ने कभी रोक-टोक नहीं की।
सुचि ने बताया कि रीवा के जिस मैदान पर खेलकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल की है, वहां पर फिर से लौटकर आना भावुक करने वाला पल है। उन्होंने कहा कि जहां बॉलिंग-बैटिंग करती थी, वहांं आकर ऐसा लगता है जैसे घर वापस आ गई हूं।
खेल प्रशिक्षक इन्द्रदेव भारती ने बताया कि मेरे लिए गर्व का क्षण है। मैं जब क्रिकेट नहीं खेल पाया तो ठान लिया कि बच्चों को तैयार करूंगा। शुचि मेहनती थी, समय की पाबंद थी और सीखने की ललक उसमें गजब की थी। कई बच्चों को तैयार किया, जिसमें शुचि भारतीय टीम का हिस्सा बनी।
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इसी साल किया है इंटरनेशनल डेब्यू
शुचि उपाध्याय ने मई 2025 में श्रीलंका के खिलाफ टीम इंडिया के लिए अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मुकाबला खेला। इससे पहले वे मध्यप्रदेश टीम की ओर से राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं। शुचि का कहना है कि देश के लिए खेलना हर खिलाड़ी का एक सपना होता है, और जब वह सपना पूरा होता है, तो शब्द नहीं मिलते। बस इतना ध्यान रहता है कि अच्छा प्रदर्शन करूं और भारत को जीत दिलाऊं।
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