रीवा। शहर के वार्ड क्रमांक 15 में कई प्राकृतिक नाले थे जिनके जरिए पानी एकत्र होकर बीहर नदी में जाकर मिलता था। इन नालों के आसपास तेजी के साथ अतिक्रमण बढ़ा है और लोगों ने इनका स्वरूप बदलकर नालियों में बदल डाला है। इसका सबसे अधिक नुकसान स्थानीय लोगों को ही होना है। बरसात के दिनों में पानी के बहाव के लिए पर्याप्त स्थान नहीं मिल पाता जिसकी वजह से मोहल्लों में जलभराव की स्थिति निर्मित होती है। अब एक बार फिर बरसात आने के पहले इन नालों पर किए गए अतिक्रमण की वजह से लोगों की चिंताएं बढऩे लगी हैं। इसकी शिकायत नगर निगम आयुक्त के पास स्थानीय लोगों की ओर से की गई है। साथ ही वार्ड पार्षद ने भी आयुक्त को पत्र लिखकर चिंता जाहिर की है कि नालों को जिस तरह से अतिक्रमण के चलते संकरा किया जा रहा है, उससे आने वाले दिनों में वार्ड में जल निकासी को लेकर बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है। पूर्व पार्षद अशोक पटेल ने बताया कि वार्ड 15 के आचार्य नगर से शुरू होकर जो नाला फूलमती मंदिर तक जाता है उसके सीमांकन और सफाई की जरूरत है। कई बार इसकी शिकायतें नगर निगम के अधिकारियों की गई हैं। नाले के दोनों ओर लोगों ने मकान और बाउंड्रीवाल बना रखी है, जिसके चलते पानी की निकासी में कठिनाई हो रही है। बरसात के दिनों में अधिक मात्रा में पानी आता है। निकासी के लिए पर्याप्त जगह नहीं होने की वजह से कई बार उलटा दूसरी दिशा में पानी का बहाव होने लगता है। ऐसे में इसके लिए व्यापक योजना बनाकर अतिक्रमण हटाए जाने की जरूरत है।
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सीमांकन की प्रक्रिया एक वर्ष से अटकी
रतहरा में कई नालों में अतिक्रमण का मामला पिछले वर्ष भी उठाया गया था। जिस पर नगर निगम आयुक्त ने मौके का निरीक्षण कर सीमांकन के लिए तहसीलदार को पत्र लिखा था। तहसील से कुछ कर्मचारी एक बार पहुंचे जरूर थे लेकिन सीमांकन अब तक नहीं हुआ है। जिसकी वजह से अतिक्रमण करने वाले लोगों का दावा है कि उन्होंने अपनी भूमि पर निर्माण कराया है।
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आयुक्त ने मांगी रिपोर्ट
हाल ही में नगर निगम आयुक्त सौरभ सोनवणे ने अधिकारियों के साथ बैठक में निर्देशित किया है कि शहर में जहां भी नालों के ऊपर अतिक्रमण है, उन पर कार्रवाई की जाए। रतहरा के मामले की शिकायत आने के बाद फिर से आयुक्त ने जोन प्रभारी से रिपोर्ट मांगी है और कहा कि पानी निकासी में किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं हो। समय से पहले से नालों की सफाई भी कराई जाए।
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बरसात के दिनों में होगा संकट
वार्ड के कई हिस्सों में पुराने नाले रहे हैं, जिनमें धीरे-धीरे अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। कई जगह नालों को स्वरूप ही बदलकर संकरा कर दिया गया है। बरसात के दिनों में पानी निकासी में कठिनाई होती है, इसकी सूचना निगम आयुक्त को दी गई है। नालों का सीमांकन कराना जरूरी है, इससे यह तय हो जाएगा कि नाला कहां तक है।
नीतू अशोक पटेल, वार्ड पार्षद
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