Dr VD Tripathi Cardiologist Supper specialty hospital Rewa : एसएस मेडिकल कालेज के सुपर स्पेसिलिटी हॉस्पिटल में रोवस तकनीक के माध्यम से दो मरीजों को बड़ी दी गई है। हार्ट की समस्या को लेकर लंबे समय से दोनों मरीज परेशान थे, जिनकी जांच के बाद बायपास की सलाह भी दी जा रही थी। इसी दौरान कार्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. वीडी त्रिपाठी ने पूरे केस का अध्ययन करने के बाद रोवस तकनीक से प्रोसीजर करने की योजना बनाई। जिसके तहत दोनों मरीजों की काम्प्लेक्स एंजियोप्लास्टी की गई। अब दोनों की हालत बेहतर है।
इन मरीजों की आर्टरी में बहुत ज्यादा कैल्शियम था साथ ही मुख्य धमनी जिसे लेफ्ट मेन कहते है वह भी ब्लॉक्ड थी। सामान्यतौर पर ऐसे प्रकरणों में बायपास किया जाता है। डाक्टर्स ने सफलता पूर्वक रोवस तकनीक (Rovas technique) से प्रोसीजर पूरा किया। बताया गया है कि इस ऑपरेशन में करीब 5 लाख रुपए से अधिक खर्च आता है।
सुपर स्पेशलिटी में आयुष्मान योजना के माध्यम से नि:शुल्क प्रक्रिया अपनाई गई। जिससे मरीजों को बड़ी राहत मिली है। इसमें कार्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. वीडी त्रिपाठी, सहायक प्राध्यापक डॉ अवनीश शुक्ला, तकनीशियन जय, सत्यम, मनीष, सुमन, सुधांशु, ऋषभ एवं अन्य शामिल रहे।

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– क्या है रोवस तकनीक
रोटाब्लेशन और आईवीयूएस ये दो तकनीकें हृदय रोग विशेषज्ञों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। जब हृदय की धमनियों में कैल्शियम जमा हो जाता है और रक्त प्रवाह बाधित होता है, तब पारंपरिक एंजियोप्लास्टी कई बार पर्याप्त नहीं होती। रोटाब्लेशन में एक छोटी सी ड्रिल जैसी डिवाइस का उपयोग होता है जो बहुत तेज़ गति से घूमती है। यह ड्रिल धमनी में जमे कैल्शियम को बारीक कणों में तोड़ देती है, जिससे रुकावट दूर हो जाती है और स्टेंट आसानी से लगाया जा सकता है। यह तकनीक विशेष रूप से उन मरीज़ों के लिए फायदेमंद है जिनकी धमनियों में बहुत सख्त कैल्शियम जमा हो गया है।
इसी तरह आईवीयूएस (IVUS) एक ऐसी तकनीक है जिसमें एक छोटा कैमरा धमनी के अंदर भेजा जाता है। यह कैमरा धमनी की अंदरूनी दीवारों की विस्तृत तस्वीरें भेजता है, जिससे डॉक्टर को रुकावट की सही स्थिति और स्टेंट लगाने की सही जगह का पता चलता है। यह सुनिश्चित करता है कि स्टेंट पूरी तरह से प्रभावी हो और दोबारा रुकावट का खतरा कम हो।
रोटाब्लेशन और आईवीयूएस का एक साथ उपयोग करना ही रोवस तकनीक कहलाता है। इसमें डॉक्टर धमनी की रुकावट को अधिक सटीकता से दूर कर सकते हैं और स्टेंट को बेहतर तरीके से लगा सकते हैं। इससे मरीज़ को लंबे समय तक राहत मिलती है और हृदय संबंधी जटिलताओं का खतरा कम होता है।
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दो मरीजों की जांच में पाया गया था कि इनका ब्लाकेज अधिक है। ऐसे मामलों में सामान्यतौर पर बायपास करना पड़ता है लेकिन रोवस तकनीक के सहारे दोनों प्रोसीजर सफलता पूर्वक पूरे हो गए हैं। आयुष्मान कार्ड होने की वजह से नि:शुल्क प्रक्रिया पूरी की गई है। दोनों मरीज स्वस्थ हैं।
डॉ. वीडी त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष कार्डियोलॉजी सुपर स्पेशलिटी रीवा
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