रीवा। जिला पुलिस बल में पदस्थ रहे आरक्षक पुष्पेंद्र साकेत की बर्खास्तगी के मामले में हाईकोर्ट ने सेवा में बहाल करते हुए सभी स्वत्वों का भुगतान करने के लिए आदेश जारी किया है। साथ ही डीजीपी को निर्देश जारी किया गया है कि बिना जांच कराए तत्कालीन डीआईजी मिथिलेश शुक्ला ने आरक्षक की अपील पर सुनवाई किए बिना ही अपील को निरस्त कर दिया। इसलिए जांच किया जाए कि पुलिस बल के सदस्यों के विरुद्ध अनुशासनात्मक प्राधिकारी और अपीलीय प्राधिकारी की शक्तियां सौंपे जाने की पात्रता है या नहीं।
न्यायालय ने कहा कि बिना विभागीय जांच के किसी पुलिसकर्मी को सेवा से बर्खास्त करना संविधान के अनुच्छेद 311(2)(बी) का दुरुपयोग है और यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकल पीठ ने की। अपने विस्तृत आदेश में न्यायालय ने न केवल बर्खास्तगी को असंवैधानिक ठहराया बल्कि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को यह निर्देश भी दिए कि भविष्य में इस प्रकार के आदेश पारित करने वाले अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाए, ताकि ऐसी मनमानी को रोका जा सके।
पुलिस आरक्षक रहे पुष्पेन्द्र साकेत पर एक महिला ने शादी का प्रलोभन देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। जिस पर एफआईआर दर्ज होने के बाद एसपी ने निलंबित कर दिया और महीने भर के भीतर ही पुष्पेंद्र साकेत को 21 दिसम्बर 2022 को बिना विभागीय जांच के सेवा से बर्खास्त कर दिया था। बाद में महिला के बयानों के आधार पर आरक्षक को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया। इसके बाद पुलिस अधीक्षक के आदेश के विरुद्ध पुष्पेन्द्र ने तत्कालीन डीआईजी मिथिलेश शुक्ला के कार्यालय में अपील दायर की। जिसे 3 मई 2023 को अपील प्राधिकारी डीआईजी ने भी अस्वीकृत कर दिया। एसपी के आदेश को सही माना।
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नागेंद्र सिंह गहरवार रीवा ने पैरवी की। उन्होंने तर्क दिया कि अनुच्छेद 311(2)(बी) का उपयोग केवल अपवादस्वरूप किया जा सकता है, नियम के रूप में नहीं। उन्होंने कहा कि विभागीय जांच को टालना तभी संभव है जब जांच करना असंभव हो, परंतु इस प्रकरण में ऐसा कोई कारण नहीं था। इन तर्कों से सहमति व्यक्त करते हुए कोर्ट ने कहा कि जब विभागीय जांच संभव थी, तब उसे न करना शक्ति का दुरुपयोग है और प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है। न्यायमूर्ति विवेक जैन ने 21 दिसम्बर 2022 की सेवा समाप्ति एवं 3 मई 2023 की अपील अस्वीकृति दोनों आदेशों को निरस्त करते हुए पुष्पेंद्र साकेत को तत्काल सेवा में बहाल करने, पूर्ण बकाया वेतन प्रदान करने और सेवा निरंतरता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।




