Saturday, July 19

Deepak Tiwari is burning his body in Panchagni Sadhna in Laxmanbagh campus
रीवा। शहर के पांडेनटोला निवासी अधिवक्ता दीपक तिवारी ने एक बार फिर हठ योग की साधना शुरू की है। वह नौतपा की भीषण गर्मी में खुले आसमान के नीचे अपने चारों ओर आग जलाकर तपस्या करते हैं। यह पंचाग्नि साधना का उनका लगातार चौथा वर्ष है। इसके पहले भी वह नौतपा के दिनों में ही नौ दिनों तक इस तरह की तपस्या कर चुके हैं।

शुरुआत के वर्षों में लोगों ने उनकी तपस्या को गंभीरता से नहीं लिया था लेकिन अब उनकी तपस्या को देखने शहर के बड़ी संख्या में लोग हर दिन लक्ष्मणबाग पहुंच रहे हैं। दोपहर बाद तीन बजे से सायं के पांच बजे तक लोग नजदीक से उनकी तपस्या को देख रहे हैं। दीपक के भाई रामप्रकाश तिवारी डैडू बताते हैं कि पंचाग्नि साधना अपनी इंदियों में नियंत्रण करने की तपस्या का नाम है। हर साल नौतपा के दिनों में यह तपस्या दीपक करते हैं क्योंकि इनदिनों गर्मी का प्रकोप अत्यधिक होता है। यह अत्यंत कठिन साधना है। इसमें गौ-माता के गोबर से निर्मित कण्डे को अपने चारों तरफ रखकर व उसमें अग्नि जलाकर तपस्या करते हैं।

पंचाग्नि तप से शरीर में पंच तत्वों का संतुलन बनता है। खुले आसमान में सूर्य की तपती तपिश में घण्टों बैठ कर यह साधना की जाती है। सूर्य को स्वर्ग की अग्निमाला कहा जाता है। अग्नि का दूसरा स्वरूप पजेन्य कहलाता है। पजेन्य का मतलब जल या वर्षा को संसार की तीसरी अग्नि कहा गया है। पुरुष को चौथी अग्नि एवं स्त्री को पांचवीं अग्नि कहा गया है। यह साधना पंचाग्नि तप विशिष्ट प्राचीन प्रकृति की है। जिसे वैष्णव संत समाज मन पर नियंत्रण कर परमात्मा से मिलने के लिए व संसार के कल्याण के कामना के उद्देश्य के लिए करते हैं।

Share.
Leave A Reply