रीवा। जिले के बहुचर्चित शिक्षाकर्मी घोटाले में न्यायालय का अहम फैसला आया है। न्यायालय ने इस मामले में आरोपियों को कारावास व अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। जवा जनपद पंचायत का पूरा मामला था। वर्ष 1998 में शिक्षाकर्मी घोटाला सामने आया था। शिक्षा विभाग के 110 व राजीव गांधी प्राथमिक शिक्षा मिशन के तहत 60 पदों की नियुक्ति का आदेश था। 170 पदों के मुकाबले 193 पदों में भर्ती की गई थी। पात्र हितग्राहियों की जगह अपात्रों को नियुक्ति दी गई।
पूरा मामला सामने आने के बाद लोकायुक्त में इसकी शिकायत हुई और लोकायुक्त ने वर्ष 1998 में प्रकरण पंजीबद्ध कर 19 लोगों को नामजद किया था। जांच के बाद सुनवाई के लिए चालान विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। न्यायालय में करीब 26 साल तक इस पूरे मामले की सुनवाई चली। सुनवाई के दौरान कोर्ट का फैसला आने के पहले ही चार आरोपियों की मौत हो चुकी है। एक आरोपी साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया है। 14 को तीन तीन वर्ष की सजा सुनाई गई है।
न्यायालय में 250 दस्तावेज प्रदर्शित करवाए गए। सुनवाई के बाद न्यायालय ने अहम फैसला सुनाते हुए 14 आरोपियों को दोषी करार दिया है। इनमें चार आरोपियों की मौत हो चुकी है जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया गया है। न्यायालय ने धारा 120बी में 2 वर्ष का कारावास व तीन-तीन हजार का जुर्माना, धारा 367 में 3 वर्ष कारावास व पांच-पांच हजार रुपए का जुर्माना, धारा 471 में दो साल का कारावास व पांच-पांच हजार रुपए अर्थदण्ड से दंडित किया है।
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इनको हुई सजा
न्यायालय ने 14 आरोपियों को सजा सुनवाई है। इसमें चयन समिति के अध्यक्ष स्थायी शिक्षा समिति व चयन समिति रमाशंकर मिश्रा, सुबवन लाल श्रीवास्तव बीईओ, शंभूनाथ गुप्ता विकास शाला निरीक्षक, बलराम तिवारी, आशा मिश्रा, महेन्द प्रताप सिंह, रामनरेश, रामसिया वर्मा, गुलाम अहमद, कामता प्रसाद, नीता देवी, विनोद कुमार सेन, विधायक प्रतिनिधि संजीव कुमार शर्मा, शिवपाल सिंह शामिल है। एक आरोपी जनपद सदस्य रामानंद पाण्डेय को बरी कर दिया गया।
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