रीवा। देशभर के चिकित्सक रीवा में जुटे और महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य पर मंथन किया। एसोसिएशन ऑब्स्टेट्रिक्स एण्ड गायनोकोलॉजी सोसायटी द्वारा आयोजित स्त्री रोग विशेषज्ञों के महासम्मेलन के मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला रहे। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित जटिल समस्याओं पर मंथन हुआ। इससे निकलने वाले परिणाम मातृ मृत्यु दर व नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने में सहायक होंगे। गर्भवती महिलाओं की गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं, प्रसव की नई तकनीकों, मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के प्रभावी उपायों पर सम्मेलन में विचार विमर्श हुए। गर्भवती महिलाओं का शत प्रतिशत पंजीयन कराकर उनके स्वास्थ्य की नियमित जांच आवश्यक है। स्वास्थ्य केंद्रों में प्रत्येक माह की 9 एवं 25 तारीख को स्त्री विशेषज्ञ अनिवार्य रूप से उपस्थित रहकर गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य की जांच करें। मैदानी स्वास्थ्य अमला पूरी निष्ठा व समर्पण भाव से इसमें सहयोग करते हुए गर्भवती के परिजनों को भी जागरूक करे। आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्रों में भी डाॅक्टर्स काॅलोनी बनाई जायेगी, ताकि ग्रामीण क्षेत्र में सेवा दे रहे चिकित्सकों को असुविधा न हो।
सोसायटी की प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. कविता एन सिंह ने महासम्मेलन के उद्देश्यों के विषय में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश प्रदेश के स्त्री रोग विशेषज्ञ महिला स्वास्थ्य के लिए विचार प्रस्तुत करेंगे, जिनके सार्थक परिणाम सामने आयेंगे। कार्यक्रम में वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ. मीना भार्गव को लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। डाॅ. गीता बनर्जी, सुदीप्ति मिश्रा, डाॅ. पद्मा शुक्ला, डाॅ. कल्पना यादव, अधीक्षक डाॅ. राहुल मिश्रा उपस्थित रहे। इस अवसर पर स्मारिका का विमोचन भी किया गया।
—————————-
मातृ मृत्यु दर में सामने आईं समस्याएं
1- गर्भधारण के दौरान महिलाओं में एनीमिया की समस्या तेजी से बढ़ रही है। एनीमिक महिलाओं की जब डिलेवरी होती है तो उनमें कई गंभीर समस्याएं आ जाती हैं और कई बार उनकी जान बचाना मुश्किल हो जाता है।
2- डिलेवरी के समय महिलाओं का ब्लड प्रेशर बढऩा एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है। वर्तमान में यह शिकायत यंग महिलाओं में भी देखने को मिल रही है, जिनका डिलेवरी के समय ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। यह हाईपर टेंशन की वजह से समस्या उत्पन्न हो रही है।
3- महिलाओं में खून की कमी गर्भधारण के समय उनकी हालत खराब कर देती है। कई बार महिलाओं को काफी ज्यादा ब्लड चढ़ाने की स्थिति बन जाती है।
4- महिलाओं में ब्रेस्ट और बच्चेदानी का कैंसर भी तेजी से बढ़ रहा है। जागरूकता के अभाव में महिलाएं तीन या चौथी स्टेज में इलाज करवाने अस्पताल आती हैं, जिससे उनकी जान बचाना मुश्किल हो जाता है।
5- प्रसव के दौरान ब्रेन हेमरेज की वजह से महिलाओं की मौत होती है। ब्रेन हेमरेज को सर्जरी से जोड़कर महिलाओं की जान बचाने पर भी चर्चा की गई।
ये डाक्टर हुए शामिल
इस महासम्मेलन में देश भर के 500 से अधिक स्त्री रोग विशेषज्ञ शामिल हुए। इनमें डाॅ. गीता बनर्जी, डाॅ. ऊषा चौरसिया, डाॅ. मीना भार्गव, डाॅ. स्नेहलता गुलाटी, डाॅ. महेन्द्र सिंह, डाॅ. आभा पाठक, डाॅ. आशीष तिवारी, डाॅ. रोहिनी तिवारी, डाॅ. ऋचा पटेल, डाॅ. मंजू सिंह, डाॅ. दीपारानी, डाॅ. प्रियंका परौहा, डाॅ. अनुपम जैन, डाॅ. मनीषा अग्रवाल, डाॅ. सुनीता तिवारी, डाॅ. आदिति सिंह, डाॅ. किरण बाला, डाॅ. मधु जैन, डाॅ. बबीता खरे, डाॅ. बीना मिश्रा, डाॅ. नीकिता सिंह सहित अन्य शामिल हुए।
—————————-
प्रसव के समय महिला की मौत के कई कारण सामने आये है इनकी रोकथाम के लिए प्रयास भी चल रहे है। इस सम्मेलन में पूरे देश के पांच सौ से अधिक चिकित्सक शामिल हुए है। हमे एक दूसरे के अनुभवों केा जानने का मौका मिल रहा है जिससे आने वाले समय में प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलेगी।
डा. पद्मा शुक्ला, कार्यक्रम संयोजक
—