रीवा। कृषि सहकारी समितियों के चुनाव को लेकर लंबे समय से लगाए जा रहे कयासों के बीच एक बार फिर प्रक्रिया होल्ड कर दी गई है। अब इन समितियों का पुनर्गठन शुरू किया जा रहा है। जिसमें हर जिले में मौजूदा सहकारी समितियों की संख्या में 25 प्रतिशत की वृद्धि करने की तैयारी की जा रही है।
अब समितियों का चुनाव पुनर्गठन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद होगा। इसके लिए अगस्त महीने तक की समय सीमा सरकार ने विभाग को दी है। इस कारण अब यदि समतियों में चुनाव प्रारंभ भी होगा तो वह सितंबर महीने के बाद ही होगा। प्रदेश में करीब 12 वर्षों से समितियों के चुनाव का इंतजार किया जा रहा है। सरकार की ओर से कई बार चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ कराई गई लेकिन इसे बीच में ही रोका जाता रहा है।
कुछ समय पहले विधानसभा में भी मामला उठाया गया था। जिसके बाद से सरकार ने विभाग को अलर्ट करते हुए सदस्यता सूची तैयार करने का निर्देश दिया था और कहा गया था कि यह प्रक्रिया मई से लेकर जुलाई तक चलेगी। जिसमें समितियों के संचालक मंडल से लेकर अन्य पदों के लिए होने वाले चुनाव संपन्न कराए जाएंगे।
पूर्व में कोर्ट के निर्देश के बाद भी प्रक्रिया शुरू हुई थी, बाद में उसे भी रोक दिया गया था। जिला सहकारी बैंक मर्यादित रीवा के क्षेत्र में रीवा-मऊगंज जिले में 148 प्राथमिक कृषि शाख सहकारी समितियां हैं। अब इसमें उन समितियों का पुनर्गठन किया जाएगा जहां पर अधिक संख्या में सदस्य हैं या फिर उनकी भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि क्षेत्र की सीमा का संशोधन करना जरूरी है।
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प्रशासकों का बढ़ा रहे कार्यकाल
निर्धारित समय पर सहकारी समितियों का चुनाव नहीं होने की वजह से वहां पर प्रशासकों की नियुक्ति की गई है। नियम है कि सहकारी संस्थाओं में प्रशासक का कार्यकाल 2 साल से अधिक नहीं हो सकता, लेकिन रीवा सहित पूर प्रदेश में पिछले 7 साल से सभी सहकारी संस्थाएं प्रशासकों के अधीन हैं। पहले सरकार चुनाव कराने को तैयार नहीं थी। इस मामले में हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं। कोर्ट का भी निर्देश है और विधानसभा में भी मामला उठा है। जिसके चलते अब फिर से प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
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पंचायत स्तर पर समितियों के गठन की तैयारी
सरकार ने कहा है कि सहकारिता को विस्तारित करने का समय है, इसलिए अब कृषि सहकारी समितियां पंचायत स्तर पर गठित की जाएं। सरकार के इस निर्देश पर अमल करना तकनीकी तौर पर मुश्किल हो रहा है। सहकारी समितियों के गठन के लिए जो गाइडलाइन दी गई है उसके तहत रीवा-मऊगंज जैसे जिलों में हर पंचायत में सहकारी समिति गठित कर पाना मुश्किल है। इसी के चलते अब कहा गया है कि जहां हर पंचायत में समिति गठित कर पाना मुश्किल है, वहां जिले में 25 प्रतिशत संख्या बढ़ाई जाएगी।
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उप पंजीयक नहीं होने से रजिस्ट्रेशन में समस्या
नए सिरे से सहकारी समितियों के गठन की जिम्मेदारी उप पंजीयक के स्तर पर होती है। रीवा में उप पंजीयक का पद खाली है, फिलहाल प्रभार पर व्यवस्था चल रही है। जिसकी वजह से अन्य प्रक्रियाएं शुरू होने के बाद पंजीयन का मामला अटका हुआ है। इस कारण अब सीधी के उप पंजीयक को जिम्मेदारी सौंपी गई है। सरकार की ओर से कहा गया है कि जुलाई अंत और अगस्त के शुरुआत में नई समितियों का गठन पूरा किया जाए। वर्तमान में रीवा में 148 सहकारी समितियां हैं, इसमें 25 प्रतिशत पुनर्गठन से संख्या वृद्धि करना है, जिसमें 37 नई समितियां होंगी। इसमें 26 रीवा जिले में और 11 मऊगंज जिले में गठित की जाएंगी। कुछ समय पहले हर ब्लाक में एक-एक समिति के गठन की प्रक्रिया शुरू की गई है।