भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इनदिनों हर मंत्री की गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं। बड़े प्रोजेक्ट में जहां मुख्यमंत्री की सहमति के बगैर शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है, वहां पर सवाल पूछे जा रहे हैं। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव और उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला के बीच राजनीतिक तालमेल ठीक नहीं है। शुक्ला को रीवा में उनके समर्थक विकास पुरुष कहते हैं, इसलिए वह अपने हिसाब से ही काम कर रहे हैं। सरकारी भूमियों को पुनर्घनत्वीकरण योजना के जरिए बिल्डर्स को दिए जाने के आरोप भी उन पर लगते रहे हैं। विपक्ष घेराबंदी कर रहा है तो भाजपा का भी एक गुट इस मुद्दे को हवा देना चाह रहा है।
रीवा जिले में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने गौ अभयारण्य बनाने की घोषणा के साथ भूमिपूजन भी कर दिया और वहां पर घोषणाओं की झड़ी लगा दी। कहा कि हिनौती गांव के इस गौ अभयारण्य को प्रदेश का माडल बनाएंगे। कलेक्टर का प्रस्ताव जैसे ही भोपाल पहुंचा तो मुख्यमंत्री की सहमति इस पर नहीं मिली। इस कारण प्रस्ताव को यह कहते हुए लौटा दिया गया है कि मुख्यमंत्री का निर्देश है कि पहले पुराने कार्य पूरे किए जाएं, इसके बाद नए स्वीकृत होंगे। इसके पहले मऊगंज में जिला अस्पताल बनाने के प्रस्ताव पर भी मुख्यमंत्री की सहमति नहीं मिलने से राजेन्द्र शुक्ला को झटका लगाा था।

आवारा मवेशियों के संरक्षण के लिए जिले के गंगेव जनपद क्षेत्र के हिनौती में गौ अभयारण्य बनाए जाने के लिए भेजे गए प्रस्ताव पर शासन ने स्वीकृति नहीं दी है। मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए पूर्व के निर्देश का हवाला देते हुए कहा गया है कि पहले पुराने स्वीकृत कार्यों को पूरा कराया जाएगा इसके बाद ही नए कार्य स्वीकृत होंगे। बीते जुलाई महीने में कलेक्टर की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। जिसमें हिनौती में गौ अभयारण्य बनाए जाने के लिए 4.96 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान बताया गया था। इसे हिनौती गांव के 16.972 हेक्टेयर शासकीय भूमि पर बनाए जाने की बात कही गई थी। यहां पर गौवंश के लिए शेड सहित दस अलग-अलग निर्माण कार्य कराए जाने की तैयारी थी।

मनरेगा के प्रावधान के अनुसार राशि स्वीकृत करने में असमर्थता जाहिर करते हुए छह बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण भी दिया गया है किन वजहों से इसे स्वीकृत नहीं किया जा रहा है। लंबे समय से हिनौती में गौ अभयारण्य बनाए जाने की मांग उठाई जा रही थी। सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने बीते दस वर्षों के अंतराल में करीब सैकड़ा भर से अधिक आवेदन दिए हैं। साथ ही कई जनप्रतिनिधियों ने भी मांग उठाई थी। हिनौती में सरकारी भूमि भी उपलब्ध है और यहां पर आसपास के गांवों में बड़ी संख्या में आवारा मवेशियों की वजह से लोग खेती नहीं कर पा रहे हैं। इस वजह से यहां पर मांग तेज की जा रही थी।

प्रस्ताव अस्वीकृत करने की यह रही प्रमुख वजहें-
– मुख्यमंत्री का निर्देश है कि पूर्व में स्वीकृत गौशालाओं का निर्माण पहले पूरा कराया जाए। तब तक नई स्वीकृतियां जारी नहीं की जाएं। प्रदेश में 343 गौशालाएं निर्माणाधीन हैं, जिनके लिए 64.42 करोड़ रुपए की जरूरत है।
– वर्ष 2022 में केन्द्र सरकार के जांच दल ने प्रदेश में मनरेगा से बड़ी लागत वाले गौशालाओं के निर्माण पर आपत्ति दर्ज कराई थी। साथ ही निर्देश जारी किए गए थे कि गौशाला के ऐसे कार्य जिसमें आफिस रूम, चारा भंडार कक्ष आदि शामिल हों उन्हें तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए।
– रीवा जिले में गौशाला निर्माण के लिए 203 कार्य स्वीकृत हुए हैं। जिसमें 27 प्रगतिरत हैं। निर्माण पूरा कराने 1.93 करोड़ रुपए की जरूरत होगी।
– गौशाला निर्माण के लिए प्राक्कलित लागत ३७ लाख है। मजदूरी-सामग्री का अनुपात 10:90 है। रीवा जिले में सामग्री का अनुपात 44 प्रतिशत है जो अधिनियम के अनुसार अधिकतम अनुमत्य सीमा 40 प्रतिशत का भी उल्लंघन है।
– वर्तमान में रीवा जिले में मनरेगा से 18275 कार्य प्रगतिरत हैं। जिन्हें पूरा कराने के लिए 340 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। इस वित्तीय वर्ष में केवल 82 करोड़ रुपए ही उपलब्ध हैं।
—-
उप मुख्यमंत्री ने प्रदेश की आदर्श गौशाला की घोषणा की थी
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने हिनौती गांव में गौ अभयारण्य निर्माण का भूमिपूजन करते हुए कहा था कि इसे प्रदेश की आदर्श गौशाला के रूम में विकसित किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने गौवंश वन्य विहार गौधाम का नाम भी दिया था। पूर्व में इस स्थान को गदही के नाम से जाना जाता रहा है। उप मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही कार्ययोजना बनाकर कलेक्टर ने शासन को भेजा था। जहां से यह कहते हुए अस्वीकृत कर दिया गया है कि अभी पुराने कार्य ही अधूरे हैं, जब तक वह पूरे नहीं होंगे नई स्वीकृतियां नहीं मिलेंगी।

गौ अभयारण्य में इन कार्यों का भेजा गया था प्रस्ताव
– नौ गौशाला शेड–3.48  करोड़
– प्रशासनिक भवन–9.71 लाख
– पशु औषधालय—7.52 लाख
– 500 मीटर पीसीसी रोड—32.41 लाख
– चेनलिंक फेसिंग—-21.92 लाख
– चारागाह—–15.16 लाख
्र- आरसीसी डे्रन—35.71 लाख
– सामुदायिक शौचालय–8 लाख
– ट्य़ूबवेल पंप—-7.55 लाख
– यूरिन टैंक—-10.90 लाख
—————————–
कुल—–4.96 करोड़ रुपए
——————

Share.
Leave A Reply