रीवा। जिले के पहडिय़ा स्थित पोषण आहार संयंत्र में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का मामला सामने आया है। संयंत्र पर घटिया गुणवत्ता का पोषण आहार तैयार करने, मानकों की अनदेखी करने और शासन के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस संबंध में समाजसेवी बीके माला ने संभागायुक्त और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
शिकायत में कहा गया है कि शहर के नजदीक पहडिय़ा में संचालित पोषण संयंत्र से रीवा संभाग की 56 परियोजनाओं के माध्यम से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार वितरित किया जाता है। यहां तैयार किया जा रहा पोषण आहार न केवल गुणवत्ता विहीन है, बल्कि उसमें मिलावट भी की जा रही है, जिससे उपभोग करने वालों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
शिकायतकर्ता ने कहा कि पोषण संयंत्र में मौजूद सीसीटीवी फुटेज, गेट पास, बिल्टी, सामग्री खरीद से जुड़े रजिस्टर एवं अन्य दस्तावेजों की जांच कराई जानी चाहिए। उन्होंने यह भी दावा किया है कि उनके पास संयंत्र में व्याप्त अनियमितताओं से संबंधित वीडियो, फोटो एवं श्रमिकों के लिखित बयान के प्रमाण मौजूद हैं।
बीके माला ने इस प्रकरण को जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर विषय बताते हुए कहा है कि इस तरह की लापरवाही से बच्चों में कुपोषण बढ़ सकता है और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ सकता है। उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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शिकायत में इन बिन्दुओं पर कार्रवाई की मांग
– संयंत्र में एफसीआई से सामग्री लेने की जगह स्थानीय व्यापारियों से ब्लैक में गेहूं व चावल खरीदे जा रहे हैं, जिनके कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं।
– पोषण आहार में प्रयोग होने वाली वस्तुएं दूध पाउडर, सोया ऑयल, विटामिन-मिनरल आदि की मात्रा घटाकर चावल-गेहूं से वजन पूरा किया जा रहा है।
– खराब गुणवत्ता का गेहूं प्रयुक्त किया जा रहा है, जिसकी श्रेणी तीसरे दर्जे की मानी जाती है।
– विटामिन-मिनरल पाउडर को खुले में फेंक दिया गया, जिससे वह अब गांव भाटी में पड़ा सड़ रहा है।
– लोडिंग-अनलोडिंग कार्य में भी मनमानी दरों पर भुगतान कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई जा रही है।
– संयंत्र में आने-जाने वाले वाहनों, सामग्री की सप्लाई व वितरण की कोई स्पष्ट निगरानी नहीं की जा रही है।