भोपाल. मध्य प्रदेश कांग्रेस को आज उस समय बड़ा झटका लगा जब पार्टी के पूर्व प्रवक्ता अशफाक अहमद एडवोकेट ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अपने त्यागपत्र में उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी की मौजूदा कार्यप्रणाली कांग्रेस की मूल विचारधारा और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों से भटक चुकी है।
अशफाक अहमद ने दावा किया कि प्रदेश कांग्रेस लगातार मुस्लिम समाज को राजनीतिक भागीदारी से वंचित कर रही है, और हाल ही में घोषित जिला एवं शहर कांग्रेस कमेटियों में मुस्लिम नेताओं की भारी उपेक्षा की गई है। उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में केवल दो मुस्लिम नेताओं को अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों जैसे भोपाल, बुढ़ानपुर, जबलपुर और रीवा में भी मुस्लिम समुदाय को नेतृत्व से वंचित कर दिया गया।
उन्होंने आगे लिखा कि पिछले 25 वर्षों से कांग्रेस ने न तो लोकसभा में किसी मुस्लिम प्रत्याशी को उतारा है और न ही राज्यसभा में उन्हें प्रतिनिधित्व दिया गया है। उन्होंने विधानसभा में भी केवल 2 सीटों के सीमित प्रतिनिधित्व को “गंभीर भेदभाव” करार दिया।
अशफाक अहमद ने कांग्रेस पार्टी पर मुस्लिम नेताओं के योगदान को भुला देने का भी आरोप लगाया। उन्होंने पूर्व राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी, बैरिस्टर गुलशेर अहमद, मरहूम आरिफ अकील और इब्राहीम कुरैशी जैसे नेताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि इन कद्दावर नेताओं की पुण्यतिथियाँ तक प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में नहीं मनाई जातीं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की वर्तमान कार्यशैली भाजपा जैसी हो गई है, और अब पार्टी में बने रहना उनके लिए आत्मसम्मान के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी न तो मुस्लिम समाज पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ बोल रही है और न ही कोई ठोस राजनीतिक संघर्ष कर रही है। अपने त्यागपत्र में उन्होंने यह निवेदन किया कि उनके इस्तीफे को तत्काल प्रभाव से स्वीकार किया जाए।
अशफाक अहमद के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस पार्टी पर दबाव बढ़ सकता है, खासकर मुस्लिम समुदाय में पार्टी की गिरती पकड़ को लेकर। वहीं, यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या पार्टी नेतृत्व मुस्लिम नेताओं की इस नाराज़गी को दूर करने की कोशिश करता है।
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