भोपाल। मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों में दैनिक वेतन भोगियों की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर शासन के स्तर पर रोक लगाई गई है। वित्त विभाग की आपत्ति के बाद अब नगरीय प्रशासन विभाग ने नगर निगम सहित सभी निकायों के प्रमुखों का पत्र भेजा है। जिसमें उल्लेख किया गया है कि दैनिक वेतन पर किसी भी प्रकार की नियुक्ति नहीं की जाए। पूर्व में भी कई बार इस तरह के दिशा निर्देश जारी होते रहे हैं, इसके बावजूद कई जगहों पर नियुक्तियां किए जाने के मामले सामने आए हैं।
कुछ दिन पहले प्रमुख सचिव ने भी सभी महापौर एवं निगम आयुक्तों की बैठक में भी इस मामले पर चर्चा की थी और कहा था कि किसी भी तरह से दैनिक वेतन भोगियों की नियुक्तियां नहीं की जाएं। अब उसी संदर्भ में रीवा-भोपाल सहित प्रदेश के सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर परिषदों को पत्र भेजा गया है। इसके पहले 25 मार्च वर्ष 2000 में वित्त विभाग की आपत्ति के बाद प्रदेशभर में नगरीय निकायों को दिशा निर्देश जारी किए गए थे कि दैनिक वेतन भोगियों की नियुक्ति नहीं की जाए।
निकायों द्वारा मस्टर पर श्रमिकों को रखे जाने की प्रक्रिया चलती रही और समय-समय पर उन्हें दैनिक वेतन भोगी में परिवर्तित किया जाता रहा है। अब ऐसे मामलों में लोग नियमितीकरण की मांग लेकर कोर्ट भी जा रहे हैं, जिसके चलते लगातार शासन के सामने चुनौतियां आ रही हैं। पूर्व में जारी सर्कुलर की अनदेखी कर निकायों द्वारा किए जा रहे भुगतान के चलते अब आपत्ति फिर से आई है। इसी कारण नियुक्तियों पर रोक लगाने के लिए कहा गया है।
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25 साल में हुई नियुक्तियों की मांगी रिपोर्ट
नगरीय प्रशासन विभाग के उप सचिव प्रमोद कुमार शुक्ला का पत्र नगर निगम रीवा के पास भी आया है। जिसमें बीते 25 वर्षों में दैनिक वेतन भोगियों की हुई नियुक्तियों की जानकारी मांगी गई है। इसके लिए प्रारूप भी भेजा गया है, जिसमें दैवेभो कर्मचारी का नाम, नियुक्ति दिनांक, वर्तमान पारिश्रमिक, तत्कालीन निकाय प्रमुख अधिकारी का नाम, राज्य शासन की अनुमति आदि के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई है। यह जानकारी आगामी 25 अक्टूबर के पहले नगर निगम को शासन के पास भेजनी है। इसी प्रारूप में जिले के अन्य नगरीय निकायों को भी जानकारी भेजनी है।
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