Thursday, July 17

रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में श्रीराम के जीवन पर आधारित रामायण शोध पीठ की स्थापना की जा रही है। एपीएसयू रीवा देश का पहला विश्वविद्यालय बनने जा रहा है जहां रामायण शोध पीठ की स्थापना हो रही है। इस ऐतिहासिक पहल का शुभारंभ 17 जुलाई को होगा। इस अवसर पर संत पद्मविभूषण रामभद्राचार्य, मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला एवं अन्य विशिष्ट अतिथि शामिल होंगे।

विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार रामायण शोध पीठ के माध्यम से रामकथा से जुड़े ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, दार्शनिक एवं साहित्यिक पहलुओं पर गहन अध्ययन और शोध को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही, ओरछा में एक विशेष रामायण संग्रहालय की स्थापना भी की जा रही है, जहां शोध सामग्री, पांडुलिपियां, मूर्तियां, चित्र और अन्य ऐतिहासिक दस्तावेज संरक्षित किए जाएंगे।

विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कहा है कि यह शोध पीठ केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि शैक्षणिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। यह न केवल विद्वानों के लिए बल्कि आम जनमानस के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी। इस पहल को शिक्षा और संस्कृति के संगम के रूप में देखा जा रहा है, जो मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विशेष पहचान दिला सकता है। भगवान श्रीराम ने विंध्य क्षेत्र में लंबा समय गुजारा है, वनवास के दौरान वह विभिन्न हिस्सों से भ्रमण करते हुए गुजरे हैं। इसलिए रामायण शोध पीठ स्थापित की जा रही है।
श्रीराम वन गमन पथ को लेकर मध्यप्रदेश सरकार कॉरिडोर तैयार कर रही है। इसमें चित्रकूट, सतना, रीवा, पन्ना, शहडोल, जबलपुर, कटनी, अनूपपुर, विदिशा, होशंगाबाद सहित कई जिलों को शामिल किया गया है। यह कॉरिडोर १४५० किलोमीटर दूरी का होगा। इन जिलों में कई तीर्थ स्थल विकसित किए जाएंगे। इसी कड़ी में अब रीवा के विश्वविद्यालय ने भी रामायण पीठ स्थापित करने की योजना बनाई है। माना जा रहा है कि श्रीराम के जीवन से जुड़े हर पहलू की जानकारी उपलब्ध होने के चलते यह पीठ महत्वपूर्ण साबित होगी।

विभिन्न भाषाओं में प्रचलित रामकथाओं का होगा अध्ययन
इस शोध पीठ की स्थापना से रामायण के विभिन्न संस्करणों और परंपराओं पर शोध हो सकेगा। रामकथा की वैश्विक प्रस्तुति और उसके सामाजिक प्रभावों का अध्ययन। युवाओं में भारतीय संस्कृति और मूल्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का काम होगा। देश में विभिन्न भाषाओं में रामायण की अलग-अलग तरह से प्रस्तुतियां दी गई हैं। इन सभी का अध्ययन करने के बाद वास्तविक कहानी प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाएगा।

रीवा में मुख्यालय, ओरछा में संग्रहालय होगा
रामायण पीठ का मुख्यालय विश्वविद्यालय परिसर रीवा में ही होगा। जबकि इसका संग्रहालय ओरछा में विश्वविद्यालय की खाली पड़ी करीब एक एकड़ भूमि में होगा। ओरछा राजा राम की नगरी है, जहां देश-दुनिया के लोग आते हैं। संग्रहालय में श्रीराम के जीवन से जुड़ी विभिन्न जानकारियां रखी जाएंगी ताकि लोग यहां पहुंचकर श्रीराम के विंध्य से कनेक्शन के बारे में जान सकें।

Share.
Leave A Reply