रीवा। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की बैठक होटल सेलिब्रेशन में आयोजित की गई। इस बैठक में एपीडा सदस्य व होशंगाबाद-नरसिंहपुर के सांसद दर्शन सिंह चौधरी भी शामिल हुए। एपीडा मुख्यालय नई दिल्ली से आए वरिष्ठ अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक एवं स्थानीय किसान भी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
बैठक में रीवा जिले के भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग प्राप्त सुंदरजा आम को विदेशों में निर्यात की संभावनाओं पर चर्चा हुई। प्रजेंटेशन में बताया गया कि यह आम अपनी विशेष मिठास, सुगंध, कम फाइबर और कम चीनी मात्रा के कारण विशेष रूप से मधुमेह रोगियों के लिए उपयुक्त माना जाता है। वर्ष 2023 में इसे जीआई टैग प्राप्त हुआ था, जिससे इसकी विशिष्ट पहचान को कानूनी मान्यता मिली। कुछ दिन पहले ही पहली विदेश खेप के तौर पर अबूधाबी (यूएई) भेजा गया था। जहां पर एक प्रदर्शनी में इसे भी लगाया गया था, जिसमें खूब सराहना मिली है।
इस बैठक में एपीडा के अधिकारियों ने कहा है कि रीवा,सतना, मैहर आदि जिलों में आम्रपाली और मल्लिका आम की पैदावार अच्छी होती है। इसलिए आने वाले वर्षों में इनका भी निर्यात सुंदरजा के साथ विदेश में किया जाएगा। सांसद दर्शन सिंह चौधरी ने कहा कि रीवा का सुंदरजा आम अब सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व बाजार में अपनी पहचान बनाएगा। एपीडा ने पहली बार इस जीआई आम का निर्यात अबूधाबी के लिए स्वीकृत किया है। यह प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर कृषि और निर्यात वृद्धि के विजन की दिशा में एक मील का पत्थर है। उन्होंने इसे भारतीय आम की गुणवत्ता और विविधता को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का एक ठोस प्रयास बताया।
इस दौरान उद्यानिकी संचालक प्रीति मैथिल, कलेक्टर प्रतिभा पाल आनलाइन जुड़ीं। एपीडी की जीएम विनीता सुधांशु ने कहा कि भारत आम के उत्पादन में तेजी से आगे बढ़ रहा है। मध्यप्रदेश में इसकी संभावनाएं अधिक हैं। उन्होंने किसानों को उन्नत तकनीक के उपयोग पर ध्यान देने की बात कही। सहायक प्रबंधक संदीप साहा ने भी अपनी बात रखी। उप संचालक बीएस सेंगर ने कहा कि इस कार्यक्रम से आम उत्पादकों में जागरुकता आएगी और आने वाले वर्षों में और बेहतर तरीके से काम करने के लिए प्रेरित होंगे।
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पन्नी बांधने से खराब होता है फल
विशेषज्ञों ने अलग-अलग सत्र की बैठकों में आम के किसानों को बताया कि कुछ जगह से फल में पन्नियां बांधने की जानकारी आई है। इससे आम की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इस बीच लखनऊ से आए एक व्यापारी ने कहा कि वह पेपर के मेडिकेटेड बैग उपलब्ध कराएंगे जो दो वर्षों तक काम आएंगे। इनके उपयोग से आम की गुणवत्ता में कोई खराबी नहीं आती। इसकी लागत भी अधिक नहीं है। इस दौरान एपीडा की एजीएम सिमी उन्नीकृष्णनन, डॉ. टीके सिंह, अमित कुमार, सुजीत सिंह, अमित पेडणेकर आदि ने जलवायु, मिट्टी की उपयुक्तता, आम की देखभाल, कीट नियंत्रण और निर्यात प्रक्रिया से जुड़े कई सवालों के जवाब किसानों को दिए।