Monday, September 15


भोपाल। सूर्य से निकलने वाली घातक किरणों का प्रभाव कम होगा। इस संबंध में छत्रसाल कालेज पन्ना के एक प्रोफेसर ने रिसर्च में दावा किया है। साल 2025 में सूर्य का सोलर सर्किल पूरा हो रहा है। इससे सूर्य में सन स्पॉट सबसे अधिक हो सकते हैं। नतीजा, धरती पर घातक अल्ट्रावायलेट किरणें कम पहुंचेंगी। इससे मनुष्य को इन घातक किरणों के प्रभाव से काफी रहत मिलने की उम्मीद है। सूर्य में हो रही हलचल का अल्ट्रावायलेट किरणों के साथ संबंध विषय पर रिसर्च कर यह निष्कर्ष छत्रसाल कॉलेज में भौतिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक नंदकुमार पटेल ने निकाला है।
nडॉ. पटेल की रिसर्च के मुताबिक, सूर्य पर इंसान करीब 250 साल से रिसर्च कर रहा है। इसके तहत 2025 में सूर्य का 25वां सोलर सर्किल पूरा होगा। इससे सूर्य में सन स्पॉटों की संख्या बढ़ रही है। 2025 में यह अधिकतम हो जाएगी। इसका परिणाम यह होगा कि सूर्य की घातक अल्ट्रावायलेट किरणें धरती पर कम पहुंचेंगी और मानव जीवन को कम नुकसान होगा। उन्होंने बताया, हर 12वें साल जब सन स्पॉट अधिकतम होते हैं तो अल्ट्रावायलेट किरणें न्यूनतम निकलती हैं। इसके विपरीत जब सन स्पॉट कम होते हैं तो अल्ट्रावयलेट किरणें अधिकतम निकलती हैं। इनकी गणना करने के लिए दुनियाभर में सैकड़ों की संख्या में न्यूट्रान सुपर मॉनिटर लगाए गए हैं।
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nयह है निष्कर्ष का आधार
nडॉ. पटेल बताते हैं कि उन्होंने निष्कर्स तक पहुंचलने के लिए जर्मनी के कील शहर में स्थित सुपर न्यूट्रान मॉनिटर से मिले 14 साल के डाटा का विश्लेषण किया है। डॉ पेटेल ने अपने रिसर्च निष्कर्स को बीते दिनों जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी में आयोजित कांफ्रेंस में प्रस्तुत किया।  इसमें देशभर के वैज्ञानिक मौजूद थे। सभी ने रिसर्च को सराहा। वैज्ञानिकों के पैनल ने रिसर्च के विषय सूर्य में हो रही हलचल का अल्ट्रावायलेट किरणों के साथ संबंध को डायनामिक रिसर्च आवर्ड 2023 से सम्मानित किया।
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n25 जनरल प्रकाशित
nडॉ. Nandkumar पटेल ने एपीएस यूनिवर्सिटी रीवा से संबंधित विषय पर ही शोध किया। इसके लिए उन्हें वर्ष 2014 में पीएचडी अवार्ड की गई। अब तक दो दर्जन से अधिक रिसर्च पेपर नेशनल और इंटरनेशनल रिसर्च जनरलों में प्रकाशित हो चुके हैं।

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