Saturday, July 19

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nरीवा। शासकीय इंजीनियरिंग कालेज रीवा के छात्रों ने नवाचार करते हुए कई नए प्रोजेक्ट तैयार किए हैं। भविष्य में इसका प्रयोग लोगों की जरूरतों को पूरा करने में सहायक होगा। छात्रों ने तीन तरह के प्रोजेक्ट बनाए हैं। जिसमें एक साइकिल पर सोलर प्लेट लगाकर उससे बिजली उत्पन्न कराई और उसी के जरिए वह बिना पायडल मारे भी चलती है। इसी तरह दो और प्रोजेक्ट तैयार किए गए हैं।

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आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश योजना के तहत रीवा के इंजीनियरिंग कालेज को सोलर लाइट पर अध्ययन करने की जिम्मेदारी दी गई है। प्रोजेक्ट की क्वार्डिनेटर महाविद्यालय के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग की प्राध्यापक प्रोफेसर अर्चना ताम्रकार ने सहयोगी अनंत श्रीवास्तव के साथ मिलकर छात्रों से यह प्रोजेक्ट तैयार कराया है। जिसमें प्राचार्य डॉ. बीके अग्रवाल, विभागाध्यक्ष एबी सरकार ने भी समय-समय पर मार्गदर्शन दिया। इलेक्ट्रिकल ब्रांच के अंतिम वर्ष के बीस छात्रों के समूह द्वारा इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को पूरा किया गया है। अंतिम वर्ष के छात्र नरेंद्र कुमार कुशवाहा, उमा राठौड़, विष्णुधर द्विवेदी, असारहु शुपाओ, दिव्या भारतीय, गायत्री कचेर, दिव्या कुशवाहा, सलोनी वर्मा, आशु पांडेय, हरीश सोलंकी, नितिन मंदराह, प्रतीक साहू, प्रणव सोनी, शुभम सोनी, प्रियंका यादव, सोनमणि प्रजापति, शुभम सोनी, शिवम सिंह और पवन जायसवाल आदि ने मिलकर यह प्रोजेक्ट तैयार किया है।
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GEC Rewa MP
nतीन प्रोजेक्ट कराए गए हैं तैयार

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-स्टैंड एलोन डीसी माइक्रोग्रिड –
nकालेज के इलेक्ट्रिकल ब्रांच के अंतिम वर्ष के छात्रों ने 0.67 किलोवाट का स्टैंड एलोन डीसी माइक्रोग्रिड सोलर पावर प्लांट निर्मित किया है। इस प्रोजेक्ट के तहत सोलर पावर प्लांट का निर्माण किया गया है जो प्रदूषण रहित नवीनतम ऊर्जा स्त्रोत के रूप में कार्य करता है। इससे डीसी करंट उत्पन्न होता है। घर पर पंखे, ट्यूबलाइट के साथ ही चार्जिंग सिस्टम से जुड़े उपकरण चल सकेेंगे। इसकी खासियत यह है कि यह एसी करंट वाले पॉवरग्रिट से कनेक्ट नहीं होगा, यह सेप्रेट व्यवस्था होगी।
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-सोलर साइकिल
nइलेक्ट्रिकल विभाग के छात्रों ने सोलर एनर्जी से चलने वाली साइकिल तैयार की है। यह हाइब्रिड शैली पर आधारित है, जो साइकिल और बाइक दोनों की तरह उपयोगी है। इसमें 165 वाट का सोलर पैनल इस्तेमाल किया गया है जो करीब 4 घंटो में बैटरी को चार्ज कर देता है साथ ही धूप एवं बारिश से बचाव करता है। एक बार के चार्ज में बैटरी 20-25 किमी की दूरी तय करती है। इसका उपयोग महाविद्यालयों में एवं अन्य बड़ी संस्थाओं के कैंपस भ्रमण में किया जा सकता है। यह ई-रिक्शा का बड़ा विकल्प बन सकता है। इसे सुमन शुक्ला, शंकर अग्रवाल सहित २० छात्रों ने तैयार किया है।
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n– कचरे से बिजली
nइंजीनियरिंग छात्रों ने कचरे से बिजली बनाने में सोलर एनर्जी के विकल्प का उपयोग किया है। यह वर्तमान में प्रचलित पद्धति से कई मायनों में अलग भी है। इसके लिए कचरे को जलाकर जो धुआं निकलता है, उसे एकत्र कर सेंसर से गुजारा जाता है और उसी दौरान बिजली बनाई जाती है। बताया जा रहा है कि अब पानी की भी सफाई के उपकरण तैयार करने पर भी अध्ययन किया जा रहा है।

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nआत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के तहत वैकल्पिक ऊर्जा में छात्रों ने नवाचार से जुड़े प्रोजेक्ट तैयार किए हैं। डीसी करंट को लेकर मॉडल तैयार किए गए हैं। भविष्य में ये काफी उपयोगी साबित होंगे। कम खर्च में लोगों के सामने नए विकल्प मिलेंगे।
nप्रो. अर्चना ताम्रकार, प्रोजेक्ट गाइड इंजीनियरिंग कालेज

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