रीवा। आदिम जाति कल्याण विभाग में फर्जी रूप से बिलों का भुगतान कराए जाने के मामले में कलेक्टर ने दो बाबुओं को निलंबित कर दिया है। एक पर छात्रावासों में विद्युतीकरण और दूसरे पर छात्रवृत्ति की राशि नियम विरुद्ध भुगतान कराने का आरोप है। साथ ही तत्कालीन जिला संयोजक की भूमिका संदिग्ध होने की वजह से कार्रवाई के लिए संभागायुक्त के पास प्रतिवेदन भेजा है। इस मामले की शिकायत भोपाल में की गई थी, जहां से कलेक्टर को जांच के लिए कहा गया था। कलेक्टर द्वारा कराई गई जांच में पाया गया है कि तत्कालीन जिला संयोजक एवं स्टोर प्रभारी ने मिलकर छात्रावासों के अधीक्षकों पर मौखिक रूप से अनाधिकृत तौर पर दबाव बनाया और उनसे लाखों रुपए का भुगतान अपने चहेते फर्मों को करा दिया। यह जांच सहायक कलेक्टर प्रपंज आर(आईएएस) एवं अपर कलेक्टर ने किया था। यह शिकायत कुछ समय पहले समाजसेवी कमल सिंह बघेल द्वारा की गई थी। तत्कालीन जिला संयोजक पीके पांडेय(संयुक्त कलेक्टर) पर भी आरोप रहा है कि पदीय दायित्वों को ठीक से निर्वहन नहीं किया। सहायक वर्ग-३ विकास तिवारी जिस पर स्टोर एवं निर्माण शाखा का भी प्रभार था। तत्कालीन कलेक्टर के निर्देश के बावजूद बिना टेंडर के छात्रावासों में विद्युतीकरण के नाम पर राशि का भुगतान करवा दिया। जांच में पाया गया है कि कई छात्रावासों में बिजली, पंखे आदि लगाए बिना ही भुगतान करा दिया गया है। जिसके चलते कलेक्टर ने विकास तिवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही तत्कालीन जिला संयोजक पीके पांडेय के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए संभागायुक्त को प्रस्ताव भेजा गया है।

अधीक्षकों पर भुगतान का दबाव बनाया था
जांच प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया है कि गुढ़, चरैया, बालक पिपराही, खुटहा, हर्रई प्रताप सिंह के अधीक्षकों ने अपने कथन में बताया कि सहायक ग्रेड तीन विकास तिवारी द्वारा जिला संयोजक के नाम पर कार्यालय में बुलाकर चेक के माध्यम से जबरिया भुगतान कराया था। शिकायत में कहा गया था कि हास्टलों में विद्युतीकरण कार्य के लिए बिना टेंडर के ही एक व्यक्ति को कार्यादेश सौंपकर करीब ६७ लाख रुपए का भुगतान कराया गया। इस पर जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि १४ मार्च २०२३ को ६८.३४ लाख रुपए का ई-भुगतान अधीक्षकों के खाते में गया। जहां नियमों का पालन नहीं करते हुए बिना टेंडर के ही भुगतान ठेकेदार को करा दिया गया। जबकि कलेक्टर ने भी निर्देशित किया था कि आरईएस के अधिकारियों की निगरानी में टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाए। जिला संयोजक ने बिजली फिटिंग कराने के कार्य का भुगतान करने का आदेश भी जारी किया था। १४ छात्रावासों के खाते में जीएसटी की राशि अब तक जमा है जबकि यह शासन के खाते में होना चाहिए। जड़कुड़ और बिछरहटा के छात्रावासों के पास किसी तरह के भुगतान के अभिलेख भी नहीं मिले। ठेकेदारों को आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान करना था लेकिन अधीक्षकों से चेक दिलवाए गए।
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छात्रवृत्ति आफलाइन भुगतान पर भी एक निलंबित
एक अन्य शिकायती बिन्दु में आरोप था कि शिष्यवृत्ति की राशि आफलाइन भुगतान कराई गई। इसपर ४६.६४ लाख रुपए का भुगतान हुआ है। नस्ती के अवलोकन से पता चला कि बिना सक्षम स्वीकृति प्राप्त किए ही राशि का आहरण किया गया है जो वित्तीय संहिता के मानक सिद्धांतों के विपरीत है। इस पर कलेक्टर ने शिष्यवृत्ति शाखा के प्रभारी सहायक ग्रेड-३ शिवप्रसाद पटेल को निलंबित कर दिया है। आरोप है कि बिना नोटशीट के अनुमोदन आदेश में हस्ताक्षर कराकर भुगतान करा दिया।
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