nरीवा। कांग्रेस ने दूसरी सूची जारी कर दी है, जिसमें रीवा और मऊगंज जिले की शेष रह गई सीटों से भी नाम तय किए गए हैं। संगठन के पदाधिकारियों को चुनाव नहीं लड़ाने की बात करने के बाद अब जिला अध्यक्ष को भी मैदान में उतार दिया है। रीवा से जिला अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा का नाम घोषित किया गया है। वह बीते एक वर्ष से चुनाव की तैयारी में थे। वहीं सेमरिया से अभय मिश्रा, सिरमौर से रामगरीब कोल एवं देवतालाब से पद्मेश गौतम को मैदान में उतारा गया है। देर रात जारी की गई सूची में चारों सीटों से प्रत्याशी घोषित किए गए। कांग्रेस के प्रत्याशियों की स्थिति रीवा जिले में अब साफ हो गई है। सभी सीटों पर नाम घोषित हो चुके हैं। इसके पहले गुढ़ से कपिध्वज सिंह, मऊगंज से सुखेन्द्र सिंह बन्ना, मनगवां से बबिता साकेत और त्योंथर से रमाशंकर पटेल का नाम घोषित किया गया था।
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n– अभय मिश्रा का नाम चौकाने वाला
nएक दिन पहले ही भाजपा से त्यागपत्र देने वाले अभय मिश्रा का नाम सूची में चौकाने वाला है। पार्टी के इस निर्णय का देर रात से ही विरोध शुरू हो गया है। इसके पहले दिन में सेमरिया विधानसभा क्षेत्र के सभी प्रमुख दावेदार एकत्र हुए और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को पत्र भेजकर कहा कि अभय को टिकट मिलेगा तो वह सामूहिक रूप से इस्तीफा सौंपेंगे। बीते अगस्त महीने में अभय ने कांग्रेस छोड़ दिया था और भाजपा में चले गए थे। अब वहां टिकट नहीं मिला तो फिर वापस लौटे हैं।
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nसिरमौर : रामगरीब के जरिए आदिवासियों को साधने का प्रयास
nसिरमौर सीट पर रामगरीब कोल की दावेदारी कुछ दिन पहले ही सामने आई है। इसके पहले वह चुनाव लडऩे को लेकर खुद तैयार नहीं थे। भाजपा का जिस तरह से आदिवासियों पर फोकस है और विंध्य में कई बड़े आयोजन किए जा चुके हैं। खासतौर पर कोल जाति पर विशेष रूप से पार्टी काम कर रही है। त्योंथर में कोल गढ़ी का उन्नयन कराने के साथ ही अन्य कई घोषणाएं सीएम कर चुके हैं। ऐसे में रामगरीब कोल के जरिए दूसरी सीटों पर भी कोल जनजाति को कांग्रेस अपने साथ जोडऩा चाहती है। हालांकि रामगरीब को प्रत्याशी बनाए जाने पर पार्टी के भीतर असंतोष उभर रहा है। कुछ नेता बगावत कर सकते हैं। कुछ भितरघात भी कर सकते हैं। पिछला चुनाव बसपा की टिकट पर रामगरीब ने सिरमौर से ही लड़ा था। कांग्रेस को भरोसा है कि रामगरीब भाजपा के आदिवासियों का वोट अपनी ओर आकर्षित करेंगे।
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nसेमरिया : बड़े नेताओं को साध ले गए अभय
nसेमरिया की विधानसभा सीट एक बार फिर सुर्खियों में है। दो दिन पहले तक भाजपा से प्रमुख दावेदार अभय मिश्रा रहे हैं और कांग्रेस की मुखालफत करते रहे हैं। भाजपा से पत्ता साफ हुआ तो फिर कांग्रेस के बड़े नेताओं के दरवाजे पर दस्तक दी। एक बार फिर वह अपनी रणनीति पर सफल हुए और पार्टी में वापसी की घोषणा से पहले टिकट की घोषणा करा ले गए। सेमरिया की सीट पर अभय और उनकी पत्नी नीलम चुनाव जीत चुके हैं लेकिन अब भाजपा वहां पर मजबूती से खड़ी हो चुकी है। विधायक बनने के बाद केपी त्रिपाठी उनके धुर विरोधी हो गए हैं। अब कांग्रेस में स्थानीय नेताओं को साधना अभय के लिए बड़ी चुनौती होगी। टिकट की घोषणा से पहले ही सभी प्रमुख नेताओं ने एक जुट होकर बगावत के संकेत दिए हैं। सेमरिया में बसपा भी इस बार मजबूती से मैदान में उतर रही है। यहां का मुकाबला रोचक होने का अनुमान है।
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nरीवा : राजेन्द्र शर्मा को मैनेजमेंट के चलते पार्टी ने दिया मौका
nरीवा विधानसभा सीट पर लंबे समय से चुनाव जीत रहे राजेन्द्र शुक्ला के मुकाबले इस बार कांग्रेस राजेन्द्र शर्मा को मैदान में उतारा है। पिछले वर्ष हुए नगर निगम के चुनाव में जिस तरह से राजेन्द्र शर्मा ने चुनावी मैनेजमेंट जमाया और सभी गुटों को एक साथ जोड़कर पार्टी का महापौर बनाया। उसकी वजह से उन्हें जिला अध्यक्ष भी बनाया गया। करीब एक वर्ष से वह पार्टी का संगठन चला रहे हैं। जिले के हर बूथ तक पार्टी के बीएलए बनाकर निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर नाम जारी कराया है। इस कारण पार्टी नेताओं ने उन्हें अवसर दिया है। हाल ही में सिद्धार्थ तिवारी भाजपा में चले गए हैं। इसलिए श्रीनिवास तिवारी के करीबी होने की वजह से रीवा में शर्मा ही नेतृत्व कर रहे हैं। इनके सामने पुराने लोगों को जोड़े रखना और राजेन्द्र शुक्ला को हराना बड़ी चुनौती है। सत्ता विरोधी लहर से इन्हें उम्मीद है कि रीवा में इस बार बड़ा बदलाव होगा।
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देवतालाब : चाचा-भतीजे मैदान में होंगे, कांग्रेस लंबे समय से नहीं जीती
nदेवतालाब की सीट पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के मुकाबले कांग्रेस ने उन्हीं के भतीजे पद्मेश को टिकट दिया है। यहां का भी चुनाव पद्मेश के उतरने से रोचक हो गया है। गौतम परिवार से क्षेत्र के बड़ी संख्या में लोग जुड़े रहे हैं लेकिन अब समर्थकों में बंटवारा होगा। इसका फायदा पार्टी को कितना मिलता है यह चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा। पद्मेश गौतम राजनीति में अब तक कोई बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर पाए हैं। जिला पंचायत के चुनाव में गिरीश गौतम के पुत्र राहुल को हराया था। कांग्रेस में जयवीर सिंह, विद्यावती पटेल, उदयप्रकाश मिश्रा आदि भी दावेदार थे। इनका रुख भी पार्टी की दिशा तय करने में निर्णायक होगा।
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nभाजपा विधायक ने भी बगावती तेवर दिखाए
nभाजपा के त्योंथर से विधायक श्यामलाल द्विवेदी ने भी अब बगावती तेवर दिखाए हैं। अब तक टिकट को लेकर पार्टी के हर आदेश को मानने की बात करने वाले श्यामलाल अचानक से पार्टी के निर्णय से नाराज हो गए हैं। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित चुनाव प्रबंधन से जुड़े प्रमुख नेताओं का पत्र भेजा है और कहा है कि सिद्धार्थ तिवारी के भाजपा में आने से कार्यकर्ता नाराज हैं। इसलिए उन्हें टिकट नहीं दिया जाए। पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता को टिकट मिले, सभी स्वीकार करेंगे। देर शाम श्यामलाल द्विवेदी की कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग हुई जिसमें तय किया गया है कि वह कार्यकर्ताओं की मंशा से सभी को अवगत कराया जाए। यदि बात नहीं सुनी जाएगी तो सामूहिक इस्तीफा देंगे।
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nकविता पांडेय भी टिकट नहीं मिलने से नाराज
nकांग्रेस की टिकट जारी होते ही कविता पांडेय ने भी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। वह महिला कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष थी। रीवा विधानसभा सीट से दावेदारी कर रहीं थी। हाल ही में सिद्धार्थ तिवारी के भाजपा में शामिल होने के बाद से उनके भी जाने की अटकलें थी लेकिन वह टिकट सूची का इंतजार कर रहीं थी। चर्चा है कि वह भी भाजपा ज्वाइन करेंगी लेकिन अभी तक उन्होंने स्थिति स्पष्ट नहीं किया है।
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