Saturday, July 19

रीवा। विधानसभा चुनाव में पार्टियों द्वारा चुनाव प्रचार तेज कर दिया गया है। रीवा जिले की कई सीटें इस बार चर्चा में हैं। गुढ़ विधानसभा सीट इस बार भी चर्चा में है क्योंकि यहां से पुराने प्रतिद्वंदी ही आमने-सामने हैं। कांग्रेस की ओर से ताला हाउस के कपिध्वज सिंह मैदान में हैं तो वहीं भाजपा ने अपने पुराने विधायक नागेन्द्र सिंह को मैदान में उतारा है। 

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nपूर्व में कई बार चुनाव जीत चुके नागेन्द्र सिंह के लिए इस बार राह कठिन है। वह राजनीतिक प्रबंधन के मझे खिलाड़ी कहे जाते हैं। कट्टर दुष्मनों को भी वह साध लेते हैं।  पूर्व के कई चुनावों में उन्होंने अपनी राजनीतिक सूझबूझ के चलते परिणामों को अपने पक्ष में किया है। इस बार उनके ही पुराने दांव मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। 
nनागेन्द्र सिंह बीते २००८ में चुनाव के दौरान यह संकेत दे रहे थे कि अब उनका आगे राजनीति का मन नहीं है। नई पीढ़ी को अवसर देना चाहते हैं। इसका भावनात्मक असर हुआ और लोगों ने उन्हें जिता दिया। वर्ष २०१३ के चुनाव में तो उन्होंने मुख्यमंत्री की सभा में घोषणा ही कर दी थी कि उनका आखिरी चुनाव है। इस बात को कई सभाओं में उन्होंने कहा और लगातार भुनाने का प्रयास करते रहे लेकिन चुनाव हार गए। आखिरी चुनाव बताने के बाद भी वह क्षेत्र में सक्रिय रहे और टिकट की दावेदारी की। पार्टी ने वर्ष २०१८ के चुनाव में भी अवसर दिया। फिर उन्होंने आखिरी चुनाव का दांव खेला। पिछला चुनाव वह हार चुके थे इस कारण लोगों ने आखिरी चुनाव मान कर वोटिंग भी की। पिछले चुनाव में वह शुरुआत में जहां मुकाबले से बाहर माने जा रहे थे वहीं आखिरी चुनाव का दांव चल गया और लोगों ने बड़े अंतर से जितवा दिया। 

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विधायक बनने के बाद नागेन्द्र सिंह गंभीर बीमारी से पीडि़त हुए। जिनका इलाज भोपाल एवं अन्य जगहों पर चला। कई महीने उन्हें स्वस्थ होने में लग गए। इसी दौरान पार्टी के भीतर अधिक उम्र के नेताओं को टिकट नहीं देने की बात की गई। जिसकी वजह से क्षेत्र के लोगों से दूरी बनाते गए। जिला पंचायत चुनाव में प्रणव प्रताप सिंह को जिस तरह से उपाध्यक्ष बनाने में भूमिका निभाई और उन्हें साथ लेकर घूमते रहे। इससे लोगों ने माना कि अब उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी प्रणव प्रताप ही होंगे। प्रणव भी चुनावी तैयारी में जुटे थे। 
nअब नागेन्द्र सिंह ने स्वयं टिकट की दावेदारी की और मैदान में आ गए हैं। इस बार उनके पुराने दांव उन पर ही उलटे पड़ रहे हैं। गांवों में चुनाव प्रचार के दौरान कई युवाओं ने इसका उल्लेख किया कि हर बार आखिरी चुनाव बताकर कब तक वोट लेंगे। 
nइस बार चुनाव के माहौल को लेकर गुढ़ विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों में लोगों से राय जानी गई तो लोगों ने कहा कि लंबे समय से एक ही नेता को अवसर मिलता रहा है अब बदलाव चाहते हैं। सामने कौन है इससे उनको कोई लेना देना नहीं है। महंगाई भी इस बार चुनाव में बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है। 
nविधानसभा क्षेत्र में विधायक की स्वयं की कोई उपलब्धि नहीं है। हालांकि उनका कहना है कि सोलर प्लांट, टनल सहित सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने का काम किया है। चुनाव परिणाम क्या होगा यह तो मतगणना के बाद पता चलेगा लेकिन मैदान में विधायक की फजीहत उनके स्वयं के कार्यों के साथ ही सरकार के कामकाज की भी वजह से भी है। 

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