Saturday, July 19

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nरीवा। पूर्व विधायक अभय मिश्रा ने एक बार फिर पाला बदल दिया है। इस बार दो महीने में ही उनका पार्टी से मोह भंग हो गया है। बुधवार को उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से रीवा सीट पर प्रत्याशी रहे अभय ने बीते 11 अगस्त 2023 को अचानक भाजपा कार्यालय पहुंचकर सदस्यता ग्रहण कर लिया था।

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रीवा से चुनाव हारने के बाद वह सेमरिया से सक्रिय हो गए थे और कांग्रेस से दावेदारी कर रहे थे। इस बार वह सेमरिया से कांग्रेस के प्रमुख दावेदार थे, कई सर्वे में उनका नाम पहले नंबर पर था। उनके और स्थानीय संगठन के बीच अनबन शुरू हुई और वह संगठन के समांतर अपनी टीम तैयार करने लगे। इसी दौरान वह अचानक भोपाल रवाना हुए और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की मौजूदगी में पत्नी नीलम मिश्रा के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। मुख्यमंत्री से भी मिले थे।

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उस दौरान कांग्रेस पर जमकर आरोप लगाया था। अब इस्तीफा सौंप दिया है और कहा है कि मुख्यमंत्री ने कहा था कि विधायक केपी त्रिपाठी को टिकट नहीं देंगे। अब पता चला है कि फिर से भाजपा ने त्रिपाठी का ही नाम तय किया है। इस्तीफे में अन्य कई गंभीर आरोप लगाए और कहा कि यहां संगठन नाम का कुछ नहीं बचा है, एक आदमी की भाजपा में चलती है। बीते कई दिनों से अभय कांग्रेस नेताओं के संपर्क में थे उनके फोटो वायरल हो रहे थे।

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सेमरिया सीट पर अभय और उनकी पत्नी नीलम मिश्रा विधायक चुनी जा चुकी हैं। उनका और विधायक केपी त्रिपाठी का सीधा विवाद चल रहा है, इसलिए वह चुनाव के लिए नई राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। सेमरिया से बसपा अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। इस कारण अभय के सामने कांग्रेस ही प्रमुख विकल्प बचा है। 

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n– कांग्रेस का स्थानीय संगठन विरोध में
nचुनाव के कुछ समय पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने और वहां से टिकट नहीं मिलने की वजह से फिर वापसी के प्रयास में जुटे अभय के लिए राह आसान नहीं होगी। कांग्रेस के बड़े नेताओं से तो उन्होंने संपर्क साध लिया है लेकिन जिला कांग्रेस कमेटी और स्थानीय संगठन उनके पक्ष में नहीं है। पार्टी नेताओं ने कहा है कि बगावत हो सकती है।
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nअपने हित में पार्टियों का उपयोग करना चाहते हैं
nअभय मिश्रा बीते कुछ चुनावों में स्थानीय समीकरणों के चलते जीतते रहे। लोगों ने उनकी सफलता पर वाहवाही भी दी। सिरमौर में पहले वह जनपद अध्यक्ष बने तो कई पुराने नेताओं को मात दी। इसके बाद भाजपा में पहुंचे और पहले खुद विधायक चुने गए और दोबारा पत्नी को भी सेमरिया से ही विधायक बनाया। इसके बाद भाजपा नेताओं से तकरार हुई तो कांग्रेस की ओर भागे। पिछले विधानसभा चुनाव में रीवा से राजेन्द्र शुक्ला के मुकाबले कांग्रेस से लड़े और हारते ही फिर सेमरिया की ओर चले गए। कांग्रेस नेताओं को भी धोखा देकर भाजपा में शामिल हुए और वहां भी दो महीने बाद फिर कांग्रेस की ओर दौड़ लगा रहे हैं। भोपाल में तो नेताओं को साध लिया है लेकिन स्थानीय संगठन विरोध में है। 

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